गुजरात दंगों पर गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया, अपने पर लगे आरोपों के चलते पीएम मोदी पी रहे थे घुट घुट के जहर
नई दिल्ली: गुजरात में 27 फरवरी 2002 को गोधरा कांड से पूरा राज्य हिल गया था। अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में तब कुल 68 लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी शामिल हैं। इन दो घटनाओं के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे। दंगों के समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभाने का आरोप लगाया गया था। मामला सियासत गरमा गई, मामला कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गया। नरेंद्र मोदी के खिलाफ एसआईटी ने की जांच, मिली क्लीन चिट लेकिन इस क्लीन चिट पर सवाल खड़े हो गए। लेकिन पूरे मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बरी किए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते गृहमंत्री ने कहा कि वो शंकर भगवान की तरह आरोपों का जहर पीते रहे।
गुलमर्ग कांड में मारे गए एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने कोर्ट का हर दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं. हालांकि, आखिरकार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, गृह मंत्री अमित शाह ने उन राजनीतिक आरोपों के बारे में खुलकर बात की, जो 2002 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगे हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 2002 के गुजरात दंगों के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) की क्लीन चिट को बरकरार रखा। उन्होंने कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है।
28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में कांग्रेस नेता और सांसद एहसान जाफरी थे। एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क उठे। जकिया जाफरी ने मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती दी थी। जकिया ने एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ उनके आवेदन को खारिज करने के 5 अक्टूबर, 2017 के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 9 दिसंबर को याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।