रविश कुमार बने Ai Deepfake वीडियो का शिकार !

Update: 2025-06-08 07:57 GMT

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ जिसमें वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार किसी उत्पाद का प्रचार करते नजर आए। यह वीडियो इतना विश्वसनीय लग रहा था कि कई लोगों ने इसे असली समझ लिया। लेकिन कुछ ही समय बाद खुद रवीश कुमार ने इस वीडियो को फेक बताते हुए ट्विटर (X) पर इसकी सच्चाई उजागर की।

रवीश कुमार ने किया वीडियो का खंडन

रवीश कुमार ने उस वायरल वीडियो को रीट्वीट करते हुए लिखा कि यह वीडियो Deepfake तकनीक की मदद से तैयार किया गया है और इसका उनसे कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा:

"यह मेरा वीडियो नहीं है। मेरी आवाज़ और चेहरा AI से बनाया गया है।"

"इस तरह के कई फर्जी डीपफेक वीडियो अनजान लोग बना रहे हैं और यूट्यूब पर अपलोड कर रहे हैं।"

उन्होंने यह भी बताया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी उनके नाम और चेहरे का गलत इस्तेमाल कर फर्जी प्रचार सामग्री बनाई गई है।

यूट्यूब और यूट्यूब इंडिया को किया टैग

रवीश कुमार ने अपनी पोस्ट में YouTube और YouTube India को भी टैग करते हुए कहा कि ऐसे वीडियो लगातार प्लेटफॉर्म पर अपलोड हो रहे हैं और इन्हें रोका जाना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया कंपनियों से अपील की कि AI के इस गलत इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए।

न्यूज़ीलैंड की सांसद का भी ज़िक्र

रवीश कुमार ने इस पोस्ट में न्यूज़ीलैंड की संसद सदस्य लौरा मैकक्लर (Laura McClure) का भी ज़िक्र किया। हाल ही में लौरा ने बताया कि किस तरह किसी ने उनकी नग्न तस्वीर केवल 5 मिनट में एआई तकनीक के ज़रिए तैयार कर ली थी।

उन्होंने कहा:

“सिर्फ पाँच मिनट लगते हैं किसी की इज़्ज़त उछालने में — AI की मदद से।”

यह घटना यह दिखाती है कि डीपफेक तकनीक आज के समय में केवल मशहूर हस्तियों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि किसी भी आम या खास व्यक्ति को इसका शिकार बनाया जा सकता है।

गंभीर सवाल और चेतावनी

रवीश कुमार और लौरा मैकक्लर की घटनाएँ यह सवाल उठाती हैं कि क्या हम एक ऐसे युग में पहुँच गए हैं जहाँ सच और झूठ में फर्क करना आम आदमी के लिए नामुमकिन हो गया है?


अधिक जानकारी के लिए आप देख सकते है, मैक्स महाराष्ट्र हिंदी यूट्यूब चैनल !

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