CORONAVIRUS :हर 16 सेकेंड में पैदा होगा मरा हुआ बच्चा WHO की वार्निंग

Update: 2020-10-09 06:51 GMT
CORONAVIRUS :हर 16 सेकेंड में पैदा होगा मरा हुआ बच्चा WHO की वार्निंग
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मुंबई : कोरोना वायरस को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (Unicef) और उनके सहयोगी संगठनों ने चेतावनी देते हुए अपनी एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना वायरस से प्रेग्नेंट महिलाओं और उनके गर्भ के लिए खतरा पहले से ज्यादा बढ़ गया है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस बढ़ा तो हर 16 सेकेंड में एक मृत बच्चा पैदा होगा.

इतना ही नहीं हर साल 20 लाख से भी ज्यादा 'स्टिलबर्थ' के केस सामने आएंगे. रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से ज्यादातर मामले विकासशील देशों से जुड़े होंगे. WHO ने बीते गुरुवाक को ट्विटर पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें खुलासा हुआ कि 'प्रत्येक वर्ष करीब 20 लाख शिशु मृत पैदा (स्टिलबर्थ) होते हैं और ये मामले ज्यादातर विकासशील देशों से जुड़े हैं. गर्भाधान के 28 हफ्ते या उसके बाद मृत शिशु के पैदा होने अथवा प्रसव के दौरान शिशु की मौत हो जाने को 'स्टिलबर्थ' कहते हैं.' संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि 'पिछले वर्ष उप-सहारा अफ्रीका अथवा दक्षिण एशिया में चार जन्म में से तीन 'स्टिलबर्थ' थे.'

इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की कार्यकारी निदेशक हैनरिटा फोर ने कहा 'प्रत्येक 16 सेकेंड में कहीं कोई मां 'स्टिलबर्थ' की पीड़ा झेलेगी.' उन्होंने कहा की बेहतर निगरानी, प्रसव पूर्व अच्छी देखभाल और सुरक्षित प्रसव के लिए पेशेवर चिकित्सक की सहायता से ऐसे मामलों को रोका जा सकता है.'\

WHO की रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा कि 'कोविड-19 महामारी से ये वैश्विक आंकड़े बढ़ सकते हैं. संक्रमण के कारण स्वास्थ्य सेवाएं 50 प्रतिशत तक घटी हैं और इसके परिणामस्वरूप अगले वर्ष 117 विकासशील देशों में 2,00,000 और 'स्टिलबर्थ' हो सकते हैं. WHO ने कहा कि 'स्टिलबर्थ' के 40 प्रतिशत से अधिक मामले प्रसव के दौरान के हैं और अगर महिलाएं दक्ष स्वास्थ्य कर्मियों की मदद से सुरक्षित प्रसव कराए तो ऐसे मामलों को रोका जा सकता है.'

आपको बता दें कि उप-सहारा अफ्रीका और मध्य एशिया में 'स्टिलबर्थ' के करीब आधे मामले प्रसव के दौरान के हैं, तो वहीं यूरोप, उत्तर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में इसके छह प्रतिशत मामले सामने आए हैं. WHO के मुताबिक, विकासित देशों में जातीय अल्पसंख्यकों में 'स्टिलबर्थ' के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं, जैसे कि कनाडा में इन्यूइट समुदाय की महिलाओं में पूरे देश के मुकाबले 'स्टिलबर्थ' के तीन गुना मामले ज्यादा सामने आते हैं

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