17 नवंबर को शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की पुण्यतिथि है। 1966 में बाला साहेब ठाकरे ने महाराष्ट्र में शिव सेना की स्थापना की थी। बाला साहेब के बारे में कहा जाता है कि वो अपनी बात को खुलेआम हर मंच पर कहते थे, जिसे लेकर कई बार कन्ट्रोवर्सी हुई। नफरत और डर की राजनीति करने के कारण चुनाव आयोग ने बाल ठाकरे के वोट डालने और चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि 2005 में उन पर से 6 साल तक लगे बैन को हटा लिया गया।
80 के दशक में बाल ठाकरे ने कहा था, 'मुसलमान कैंसर की तरह फैल रहे हैं और उनका इलाज भी कैंसर की तरह ही होना चाहिए। देश को मुसलमानों से आजाद कराने की जरूरत है और पुलिस को हिंदुओं की ऐसे ही मदद करनी चाहिए जैसे पंजाब में पुलिस ने खालिस्तानियों की मदद की थी।' 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद बाल ठाकरे के आह्वान पर शिवसैनिकों ने खुले आम उत्पात मचाया था। इस पर ठाकरे ने कहा था कि शिवसैनिकों ने जो किया वो सही था। हालांकि साल 1998 में दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि हमें मुसलमानों को भी अपना ही हिस्सा मानना चाहिए और सही से व्यवहार करना चाहिए। लेकिन 2008 में उनका नजरिया एक बार फिर बदल गया और उन्होंने कहा कि मुसलिम आतंकवाद तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने का तरीका सिर्फ हिंदू आतंकवाद ही है।
बाबरी विध्वंस के बाद बाल ठाकरे ने बेलगाम होकर मुसलमानों के खिलाफ भाषण दिए। उन पर भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज किया गया तो 1993 में उन्होंने कहा कि अगर मुझे गिरफ्तार किया गया तो पूरा देश उठ खड़ा होगा। ठाकरे ने तो यह तक कह दिया कि अगर मेरी वजह से देश में युद्ध होता है तो इसे होने दिया जाए। 1993 दंगों के दौरान मुसलमानों पर हमले करने के लिए लोगों को उकसाने के लिए सामना में लिखे गए लेखों के लिए ठाकरे को 25 जुलाई 2000 को गिरफ्तार किया गया था। उस समय भी पूरी मुंबई ठहर सी गई थी।
नवंबर 2009 क्रिकेट के भगवान सचिन तेंडुलकर को बाल ठाकरे के गुस्सा का शिकार बनना पड़ा। बाल ठाकरे ने सचिन को चेतावनी देते हुए कहा कि वो खुद को क्रिकेट के मैदान तक ही सीमित रखें। दरअसल सचिन ने कह दिया था कि मुंबई पर सभी भारतवासियों का बराबर हक है। बाल ठाकरे इसी पर भड़क गए और सचिन पर निशाना साधते हुए कहा, 'हमें क्रिकेट के मैदान में आपके छक्के-चौक्के पसंद हैं, लेकिन आप अपनी जुबान का इस्तेमाल न करें।