मुंबई। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि महाराष्ट्र सरकार के पास कोरोना के प्रकोप के नाम पर अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार का यह निर्णय देश में उच्च शिक्षा के स्तर को प्रभावित करेगा। इसलिए राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह यूजीसी के निर्देशों के तहत अंतिम वर्ष की परीक्षा सितंबर 2020 तक आयोजित करें। हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से अंतिम वर्ष की परीक्षा न लेने के निर्णय के खिलाफ पुणे के निवासी धनंजय कुलकर्णी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। जिसके जवाब में शनिवार को यूजीसी ने यह हलफनामा दायर किया है।
यूजीसी के शिक्षा अधिकारी की ओर से दायर हलफनामे में साफ किया गया है कि यदि परीक्षा नहीं ली जाती है तो यह विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य को बुरी तरह से प्रभावित करेगा। जो शैक्षणिक श्रेष्ठता पर भी असर डालेगा। राज्य सरकार का परीक्षा न लेने का निर्णय यूजीसी के दिशा निर्देशों के खिलाफ है। यह फैसला संसद के उच्च शिक्षा के मानक तय करने के अधिकार पर अतिक्रमण है। हलफनामे में कहा गया है कि सरकार महामारी व आपदा प्रबंधन कानून के तहत ऐसे निर्णय नहीं ले सकती जो यूजीसी के विशेष कानून के ऊपर हो। यूजीसी ने कोरोना के चलते विद्यार्थियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्देश जारी किया है। इस मामले से संबंधित याचिका पर 31 जुलाई को अगली सुनवाई होनी है।