लेबनान हमला कही इजराइल का 2006 के युद्ध का बदला तो नहीं !

Update: 2020-08-04 20:11 GMT

क्यों हुआ था इजराइल व लेबनान मे युद्ध

2004 में हुए सैनिकों की अदला-बदली में अपने दो साथियों को न छोड़ें जाने के बाद 2006 में हिजबुल्लाह ने 2 इजराइली सैनिकों को उठा लिया और उससे बदले में अपने 3 साथियों को रिहा करने की मांग की। इस मांग को इजराइल ने अपनी बेइज्जती माना। जिसके बाद इजराइल ने लेबनान में हवाई हमले किए और लेबनान के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और रिहायशी और हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हवाई हमले किए। इजराइली हवाई हमलों में बहुत से लेबनानी नागरिक मारे गए। इसके बाद हिजबुल्लाह ने इजराइली सैनिकों, इलाकों को अपनी मिसाइलों से निशाना बनाया जिन्हें इजराइली डिफेंस सिस्टम डिटेक्ट करने में असमर्थ था। इस युद्ध के दौरान इजराइल अरबो डॉलर खर्च करने के बाद भी कोई सफलता हासिल नहीं कर सका। दुनिया की सबसे मजबूत टैंक कही जाने वाली टैंक को को हिजबुल्लाह ने नष्ट कर दिया।

युद्ध के शुरू में इजराइल ने लेबनान में से हिजबुल्लाह को खत्म करने के लिए 1 या 2 दिन का वक्त मांगा था। परंतु 33 दिवसीय युद्ध में पराजय का सामना करना पड़ा था। इस दौरान लगभग 200 से 250 इजराइली सैनिक,20टैंक, 8 हैलीकॉप्टर, 1 पोत, 3 विमान, लगभग 550 इजराइली नागरिक व 150 से 200 हिजबुल्लाह लड़ाके, लगभग 600 लेबनानी नागरिक मारे गए।

इस युद्ध में हिजबुल्लाह के द्वारा हाइफा सिटी व सबसे मजबूत कही जाने वाली टैंकों को मिसाइलों से निशाना बनाने के कारण हिजबुल्लाह ने काफी सुर्खियां बटोरी और दुनिया को चकित किया था। इस युद्ध में हिजबुल्लाह के कम सैनिको के होने के बावजूद मिली जीत के बाद यह युद्ध इस बात को फिर से सिद्ध करता है कि केवल अधिक सैनिकों व हथियारों से युद्ध नहीं जीता जाता है बल्कि युद्ध जीतने के लिए एक अच्छी रणनीति व सैन्य कुशलता की आवश्यकता होती है। इस कारण यह युद्ध हमेशा याद रखा जाएगा। इस युद्ध के बाद ईरान की सैन्य कुशलता का दुनिया को पता लग गया। जो हिजबुल्लाह की मदद कर रहा था जबकि अमेरिका और यूरोप के देशों ने इजराइल की मदद की थी।

यह युद्ध इजराइल व लेबनान के मध्य लडा गया था। युद्ध के तुरंत बाद दोनों देशों ने अपने आप को विजय बताया था परंतु बाद में इजराइली पक्ष ने हार स्वीकार कर ली थी। इस युद्ध में इजराइल को हिजबुल्लाह ने अपनी सैन्य क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए इजराइल को पहली बार हार का स्वाद चखाया था। इसके बाद से ही इजराइल हिजबुल्लाह को ईरान के बाद अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। जबकि हिजबुल्लाह आज मध्य पूर्व की सबसे मजबूत और प्रशिक्षित सेनाओं में से एक है।

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