लॉकडाउन में कितने प्रवासी मजदूरों ने गंवाई जान, सरकार बोली- मालूम नहीं

Update: 2020-09-14 10:13 GMT

नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया. कोविड-19 के प्रकोप का असर सदन की कार्यवाही में भी नजर आया. लोकसभा में विपक्ष के कुछ सांसदों की ओर से सोमवार को प्रवासी मजदूरों के मसले पर जानकारी मांगी गई. सरकार का कहना है कि लॉकडाउन में कितने मजदूरों की मौत हुई है, ऐसा आंकड़ा उसके पास नहीं है.

केंद्र सरकार ने संसद में सोमवार को कहा कि 68 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान जान गंवाने वाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या पर कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय से लोकसभा में जानकारी मांगी गई थी कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि कितने प्रवासी श्रमिकों ने अपने मूल निवास लौटने की कोशिश में जान गंवाई और क्या राज्यवार आंकड़ा मौजूद है. इसके अलावा सवाल पूछा गया कि क्या सरकार ने सभी राशनकार्ड धारकों को मुफ्त में राशन दिया है, अगर हां तो उसकी जानकारी दें.

संतोष कुमार गंगवार ने लिखित जवाब दिया, जिसमें कहा गया है कि भारत ने एक देश के रूप में केंद्र-राज्य सरकार, लोकल बॉडी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. मौत के आंकड़ों को लेकर सरकार का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई डाटा नहीं है.वहीं, राशन के मसले पर मंत्रालय की ओर से राज्यवार आंकड़ा उपलब्ध ना होने की बात कही है. लेकिन 80 करोड़ लोगों को पांच किलो अतिरिक्त चावल या गेहूं, एक किलो दाल नवंबर 2020 तक देने की बात कही गई है।

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