लालजी से कहते थे अटलजी, कचौड़ी खाए बिना नहीं जाऊंगा

Update: 2020-07-21 08:16 GMT

दोनों के दिल में बसता था लखनऊ

लखनऊ। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार को निधन हो गया। 85 वर्ष के टंडन बीते कुछ दिनों से बीमार थे और लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। लालजी टंडन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भी बहुत करीबी रहे। लालजी टंडन कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी मेरे बड़े भाई और पिता हैं। दोनों ने करीब पचास साल साथ काम किया। लालजी टंडन कोई भी बड़ा काम अटलजी के आशीर्वाद से ही शुरू करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल विहारी वाजपेयी और लाल जी टंडन की सात दशक की दोस्ती पर तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद कभी राजनीतिक रंग नहीं चढ़ा और आखिरी सांस तक रिश्तों की गर्माहट पहले दिन की तरह ही बरकरार रही। लखनऊ और अटल का रिश्ता अटूट था तो टंडन के दिल में भी केवल लखनऊ बसता था। लालजी टंडन, अटलबिहारी वाजपेयी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। 1962 में लखनऊ नगर पालिका के चुनाव में टंडन सभासद चुने गए। उनका कहना था कि अटल भारतीय राजनीति के वह शिखर पुरुष हैं जिनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। यही वजह रही कि जब 2009 के चुनाव में अटल के अस्वस्थ होने पर लाल जी टंडन को उनकी विरासत संभालने को कहा गया तो वह भावुक हो गए थे। प्रधानमंत्री रहते हुए अटल का जब भी आना हुआ टंडन से मुलाकात जरूर हुई। अटल जी को चौक की ठंडाई हो चॉट और कचौड़ी बेहद पंसद थी। इसलिए लखनऊ आने से पहले वह टंडन को इसका इंतजाम करने को कहते थे, अटल कहते थे कितना भी व्यस्त रहूं टंडन जी आपकी कचौड़ी खाए बिना नहीं जाऊंगा।

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