हरतालिका तीज 21 अगस्त को रखा है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु व सुखद दाम्पत्य जीवन के लिए व्रत रखेंगी। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। मुंबई के ज्योतिषाचार्य पं. पीआर रवि के अनुसार हरतालिका तीज को विवाहित महिलाएं सुखी दाम्पत्य जीवन व पति के दीर्घायु होने के लिए व्रत रखती हैं ।
वहीं कुंवारी युवतियां अच्छा व योग्य वर पाने के लिए भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर व्रत करती हैं । इस व्रत के दौरान रात्रि जागरण भी होता है। इस व्रत में महिलाएं अपने पड़ोस अथवा रिश्तेदारों के घर व मंदिरों में एकजुट होकर व्रत, पूजा आदि करती हैं। रातभर महिलाएं जागकर भगवान के भजन आदि करती हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण मंदिरों में इस बार आयोजन नहीं हो सकेंगे। इस बार सुबह 5.53 बजे से लेकर सुबह 8.29 बजे तक हरतालिका तीज व्रत संकल्प लेने का शुभ मुहूर्त है। वहीं हरतालिका तीज की पूजा का मुहूर्त शाम 6.54 बजे से रात 9. .06 मिनट तक का है।
हरतालिका तीज व्रत में जलग्रहण नहीं किया जाता है, रातभर बिना पानी के रहने के बाद सुबह जल पीकर व्रत खोलने का विधान है। हरतालिका तीज का व्रत एक बार शुरू होने के बाद छोड़ा नहीं जाता है। हर साल इसे पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है। इस व्रत में रात्रि जागरण किया जाता है, रातभर जागकर भजन कीर्तन करना चाहिए। सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में हरतालिका तीज की पूजा की जाती है।
इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी से प्रतिमा हाथों से बनाई जाती है। पूजा स्थल को फूलों से सजाया जाता है। एक चौकी रखकर उस पर केले के पत्ते बिछाकर भगवान शिव, माता पार्वती व भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है। साथ ही माता पार्वती को सुहाग की सभी वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। रात्रि में जागरण किया जाता है। साथ ही कथा सुनी जाती है।