बाप रे! ये क्या जानलेवा कोरोना, चीन नहीं, यूरोप वाला ज्यादा

Update: 2020-08-02 09:30 GMT

नई दिल्ली। दुनिया में जारी कोविड-19 महामारी संकट के मद्देनजर कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है. कोरोनावायरस संकट से निकलने के लिए दुनियाभर के देश वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं. दुनिया के कई देशों में कोरोना को लेकर शोध हो रहा है कि यह वायरस कितना खतरनाक है या फिर वो मरीजों पर कितना ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है.

इसके पीछे का कारण ये है कि इस जानलेवा वायरस ने अलग अलग देशों में अलग अलग रंग दिखाया है। इसमें राहत की बात यह है कि पहले देशभर में कोविड-19 की अलग-अलग प्रजातियां देशभर में मौजूद थीं, लेकिन अब जब एक ही तरह की प्रजाति ज्यादा है तो उससे लड़ना ज्यादा आसान होगा. डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ने जो लॉकडाउन लगाया उससे वायरस को बड़े स्तर पर फैलने से रोकने में मदद मिली है.

यह रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को सौंपी गयी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसमें कहा गया है कि भारत में कोरोना के ज्यादातर वैरिएंट यूरोप और सऊदी अरब से आए. हालांकि जनवरी के शुरुआत में भारत में कोरोना के कुछ वैरिएंट चीन से भी आए थे. अध्ययन में ये भी पाया गया कि SARS-Cov-2 की D164G जीन वैरिएंट में अब थोड़ी कमी आ रही है. ये वैरिएंट ज्यादातर दिल्ली में है और यही वजह है कि यहां कोरोना के ट्रांसमिशन में गिरावट आ रही है.

बताया गया है कि ए2ए होलोटाइप ने पहले से मौजूद दूसरे होलोटाइप्स को हटा दिया और खुद फैल गया. एक होलोटाइप का मतलब जीन के समूह से है. शुरुआत में भारत में कोरोना की कई सारी प्रजातियां थीं. इसमें वायरस यूरोप, अमेरिका और पूर्वी एशिया से आया था. कोरोना की बात करें तो ए2ए होलोटाइप, D614G, 19ए और 19बी स्ट्रेन जैसी कई अलग-अलग प्रजातियां दुनिया में फैली हैं. भारत में भी कोरोना की ये प्रजातियां थीं.

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