क्या 30 दिसंबर को खत्म होगा आंदोलन या 2021 में भी जारी रहेगा? सरकार और किसानों में बनेगी बात या नहीं
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसान संगठनों के प्रस्ताव को मान लिया है और उन्हें बातचीत के लिए 30 दिसंबर को दोपहर दो बजे बुलाया है. भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने पत्र जारी कर किसान संगठनों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया. मालूम हो सरकार और किसानों के बीच वार्ता विज्ञान भवन में होगी. सरकार ने किसानों की कहा कि वह साफ नियत और खुले मन से वार्ता के लिए हमेशा तैयार है. मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि कृषि कानूनों एवं एमएसपी की खरीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी.
मालूम हो किसान संगठनों ने 26 दिसंबर को बैठक कर सरकार को बैठक करने के लिए प्रस्ताव पत्र भेजा था. किसान संगठनों ने अपने प्रस्ताव में साफ कर दिया था कि वे कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. इसके अलावा, सरकार से स्पष्ट किया कि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके के साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए गारंटी का मुद्दा एजेंडा में शामिल होना चाहिए.कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार को आंदोलन तेज करने की चेतावनी भी दी थी.
30 दिसंबर को सिंघू-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च आयोजित किया जाएगा.जहां एक ओर 40 किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, वहीं देशभर के 25 किसान संगठनों ने आज केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलकर कानून के समर्थन में अपनी सहमति पत्र सौंपी है.सभी 25 किसान संगठन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर एक कार्यक्रम के दौरान अपना समर्थन पत्र सौंपा. मालूम हो इससे पहले भी हरियाणा, यूपी, बिहार के कई किसान संगठनों ने कृषि कानून का समर्थन करते हुए कृषि मंत्री को सहमति पत्र सौंपा था.