UP-MP-HR में वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ FIR पर एडिटर्स गिल्ड ने की निंदा,कही ये बात

Update: 2021-01-30 12:35 GMT

नई दिल्ली। FIR दर्ज किए जाने की निंदा की है। ऐसे एफआइआर तुरंत वापस लिए जाएं और मीडिया को बिना भय के रिपोर्टिग करने की अनुमति दी जाए। पत्रकारों को अपने इंटरनेट मीडिया हैंडल पर एक प्रदर्शनकारी की मौत को लेकर रिपोर्टिग करने को लेकर चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। इनमें ऐसे पत्रकार भी हैं जिन प्रकाशनों का वे नेतृत्व और प्रतिनिधित्व करते हैं वह भी निशाने पर हैं। भारतीय महिला प्रेस का‌र्प्स और प्रेस क्लब आफ इंडिया ने भी पत्रकारों पर FIR की निंदा की है।

उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश में वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह जैसी धाराओं में एफआइआर दर्ज कराई जा रही हैं। गौरतलब है कि 26 जनवरी को किसान आंदोलन के दौरान इंटरनेट मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर समेत आठ लोगों पर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई व सारणी व होशंगाबाद जिले के शिवपुर में भी राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपितों में पत्रकार भी शामिल हैं। उक्त सभी लोगों के खिलाफ भोपाल के मिसरोद थाने में इसी मामले में केस दर्ज किया गया था।

वहीं गुरुग्राम में भी इन्हीं आरोपितों में से सात पर केस दर्ज किया गया है। मुलताई के आंबेडकर वार्ड निवासी बालमुकुंद डोंगरे ने पुलिस को शिकायत की थी। मुलताई थाना प्रभारी सुरेश सोलंकी ने बताया कि शिकायत के आधार पर पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद शशि थरूर, पत्रकार राजदीप सरदेसाई, नेशनल हेराल्ड की सलाहकार संपादक मृणाल पांडेय, कौमी आवाज के संपादक जफर आगा, कारवां पत्रिका के संपादक व संस्थापक परेश नाथ, संपादक अनंत नाथ, इसके कार्यकारी संपादक विनोद के. जोस और एक अन्य के खिलाफ सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के मामले में राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है। 

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