मुंबई। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह उन घोटालों की श्रृंखला में शामिल थे जिनमें पुलिस अधिकारी शामिल थे जिन्होंने उनके अवैध आदेशों की अवहेलना की, उन पुलिस अधिकारियों को जेल में डालने का सिलसिला परमवीर सिंह ने शुरू कर दिया था। रक्षक से भक्षक की तरह काम करने वाले परमवीर सिंह को भाजपा सरकार ने क्लीन चिट दे दी थी। इस तरह का आरोप परमबीर सिंह पर लगा है। मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटाए जाने के बाद, परमबीर सिंह ने सचिन वाझे की ओर से एक अहस्ताक्षरित पत्र भेजकर गृह मंत्री ने प्रतिमाह 100 करोड़ रुपये की मांग की है, इस तरह का मेल कर देश में भूचाल मचाया हुआ है। पर परमबीर सिंह ने अपने गलत कृत्यों से 143 पुलिस अधिकारियों के पुलिस करियर को खतरे में डाल दिया है।
मुंबई के बहुचर्चित प्रोवोग कंपनी के एक निदेशक सलिल चतुर्वेदी को एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन में अपर पुलिस आयुक्त, पश्चिम मंडल द्वारा एनडीपीएस के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। जबकि परमवीर सिंह इसमें आरोपी थे, तत्कालीन वरिष्ठ पी.आई. मधुकर गताडे और पी.आई. सुभाष शंकर केंजले और सलिल चतुर्वेदी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। मुंबई सत्र न्यायालय ने मामले की जांच में शामिल सभी प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए आरोपियों को बरी कर दिया। परमवीर सिंह को दोषी पाया गया है। लेकिन भाजपा सरकार द्वारा उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। कहा जाता है कि उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के आशीर्वाद से ही ठाणे शहर के पुलिस आयुक्त का पद मिला था। कलवा में यातायात विभाग के एसीपी शामकुमार निपुंगे को एक महिला पुलिस अधिकारी को आत्महत्या के लिए उकसाने के झूठे आरोप में छह महीने की जेल हुई। यदि परमबीर सिंह के आदेशों का पालन नहीं किया जाता है, तो पुलिस अधिकारी अभियोजन के डर से गलत काम कर रहे थे। परिणामस्वरूप, कई को अनावश्यक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
परमबीर सिंह के गलत आदेशों का पालन न करने वालो में कल्याण के बाजारपेठ पुलिस स्टेशन में काम करने वाले पीआई घाडगे इनके खिलाफ गोलीबारी करने का झूठा आरोप लगाकर सवा महीना जेल में भेज दिया गया और १० दिन के भीतर जिस ठाणे में घाडगे कार्यरत थे उसी थाने में उनके खिलाफ ४ केस और रजिस्टर किये गए और उनकी पत्नी को भी जेल में डाला गया. अदालत ने धारा ३०७ के गुनाह में घाडगे को निर्दोष करार देते हुए जाँच यंत्रणा पर ही सवाल उठाये थे और अदालत ने कहा की कोई हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया है आरोप बेबुनियाद है. इतना ही नहीं कल्याण डोम्बिवली के पूर्व कमिश्नर के टीडीआर घोटाले में ऐसी रिपोर्ट बनायी कि उन्हें क्लीन चीट दे दी गयी और कहा गया कि पुलिस अधिकारियों द्वारा गलत मामला दर्ज किया गया था ऐसी रिपोर्ट परमबीर सिंह ने बनायी।
घाडगे के केस लड़ने वाले वकील के खिलाफ भी फर्जी दस्तावेज बनाने के मामले दर्ज कर जेल में डाला गया .मुंबई के पुलिस कमिश्नर पद पर परमबीर सिंह को ना बिठाया जाए इसके लिए जिन जिन लोगो ने शिकायत की थी उनके खिलाफ भी कारवाही की गयी जिसमे डीबी मार्ग पुलिस ठाणे के अधिकारी डांगे उन्होंने परमबीर सिंह के गलत आदेश को नहीं माना इसलिए उनको सस्पेंड भी किया गया उनका आदेश ना पालने वालो को फंसाने वाले परमबीर सिंह सचिन वाजे के कंधे पर बन्दूक रखकर सीधे गृहमंत्री पर निशान साध रहे है लेकिन उनका निशाना सही है या नहीं ये पता नहीं लेकिन परमबीर सिंह ने जिन निरपराध लोगो को निशाना बनाया था वो अब खुलकर सामने आने लगे है और अब उन बेक़सूर पुलिस अधिकारियो को न्याय मिलेगा या नहीं ये फिलहाल कहा नहीं जा सकता.