LockDown: 'स्कूल चाहें तो छात्रों को दे सकते हैं और छूट', सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल फीस को लेकर सुनाया ये फैसला
मुंबई :राजस्थान के 36,000 गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वे देश मे कोरोना जैसी महामारी है ऐसे मे शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों से सालाना 15% कम फीस वसूल करें. इतना ही नहीं इस फैसले में साफ किया गया है कि फीस का भुगतान न होने पर किसी भी छात्र को वर्चुअल या स्कूल शुरू होने पर क्लास में शामिल होने से नहीं रोका जाएगा वहीं उसका परीक्षा परिणाम भी नहीं रोका जाएगा.
जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने 128 पन्नों के अपने फैसले में साफ किया कि छात्रों या अभिभावकों द्वारा फीस का भुगतान छह बराबर किस्तों में किया जाएगा. इस तरह के आर्थिक संकट में बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां चली गईं. इस फैसले में कहा गया, 'अपीलकर्ता (स्कूल) अपने छात्रों से शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए साल 2016 के कानून के तहत निर्धारित व्यवस्था के अनुरूप शुल्क वसूल करें लेकिन शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों द्वारा इस्तेमाल न की गईं सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए फीस 15% कम ली जाए. यदि स्कूल अपने छात्रों को और छूट देना चाहें तो दे सकते हैं.
देशभर के पेरेंट्स इसी बात को लेकर परेशान है लेकिन स्कूलों की तरफ से जबरदस्ती उनकी शर्तो के अनुसार फीस वसूली जा रही है. बच्चो को ऑनलाइन क्या होता ये मालूम नहीं उन बच्चो को भी जबरदस्ती ऑनलाइन क्लास से जोड़ा जा रहा है बच्चे ना तो मोबाइल लेकर बैठते है और ना ही टीचरों की बातो मे पढ़ने में दिलचस्पी रखते है.लेकिन स्कूलो को पता है अगर बच्चो को ऑनलाइन से नहीं जोड़ा जायेगा तो फीस कैसे लेंगे.
जब भी किसी भी राज्य की सरकार से स्कूल फीस के सन्दर्भ में सवाल पूछे जाते है तो कोई भी इस मामले पर कुछ जवाब नहीं देता ऐसे में नेताओ की इस चुप्पी को क्या समझा जाये खैर जो भी हो राजस्थान के स्कूलों की फीस के सन्दर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है इस फैसले के जरिये बाकी के राज्यों के पेरेंट्स को राहत जरूर मिलेगी.