अगर सड़क नहीं बना पाया तो मूँछ निकाल दूंगा ,धीरूभाई अंबानी से ऐसा क्यों कहा था नितिन गडकरी ने

Update: 2021-04-15 03:30 GMT

मुंबई : केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी की भारत का रोड मेंन  कहा जाता है क्योंकि नितिन गडकरी ने जब जब मौका मिल तब तब रास्तों का विकास बड़ी तेजी से किया वो भी कम बजट मे । नितिन गडकरी के कार्यकाल में देश में रिकॉर्ड तोड़ सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।  पिछले वित्तीय वर्ष में, 26.11 किमी की गति से देश में लगभग 7573 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया है। नितिन गडकरी न केवल अब बल्कि 1995 में राज्य में मंत्री होने के बाद भी सड़क निर्माण के लिए प्रसिद्ध रहे हैं।

मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे का निर्माण नितिन गडकरी के कार्यकाल के दौरान किया गया था। नितिन गडकरी की खासियत यह है कि वह सड़क बनाने के लिए पैसे कैसे बचाते हैं और कम से कम इसे कैसे बनाते हैं। सड़क बनाने को लेकर कहा जाता है कि एक बार धीरूभाई अंबानी के साथ उनकी कुछ अनबन हुई थी तो गडकरी ने धीरूभाई को उनकी मूंछें हटाने की चुनौती दे दी थी । क्या था किस्सा जानिए 

धीरुभाई अंबानी बहोत बड़े उद्योजक थे ये सभी जानते है उस वक्त युति की सरकार थी सड़क निर्माण के लिए एक निविदा जारी की गई थी। धीरूभाई ने सबसे कम 3,600 करोड़ रुपये का टेंडर जमा किया था। लेकिन नितिन गडकरी का मानना ​​था कि सड़क 2,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरी होगी। लेकिन सबसे कम निविदा 3,600 करोड़ रुपये की थी। कैबिनेट में सहयोगियों ने कहा कि जिसका सबसे काम टेंडर होगा उसे काम मिलना चाहिए लेकिन गडकरी ने उपमुख्यमंत्री मुंडे को कहा कि 2,000 करोड़ रुपये के काम के लिए 3600 करोड़ रुपये बहुत अधिक हैं। निविदा खारिज कर देना चाहिए . 

उस समय, धीरूभाई ामबनाइ का दबदबा था  लेकिन गडकरी ने मुख्यमंत्री मनोहर जोशी और मुंडे को मना लिया कि वे सस्ती सड़कों का निर्माण करेंगे । उस समय सरकार के पास उतना पैसा नहीं था। तो जोशी ने पूछा कि पैसा कहां से आएगा। गडकरी ने कहा कि मेरे ऊपर विश्वास करे मैं करता हूँ बंदोबस्त , मुख्यमंत्री  मनोहर जोशी ने गडकरी की बात को मानते हुए टेंडर कैंसिल किया. 

धीरुभाई के बालासाहेब ठाकरे और प्रमोद महाजन के साथ बहुत अच्छे संबंध थे। धीरुभाई निविदा की अस्वीकृति से नाराज थे। उन्होंने नाराजगी भी जताई। प्रमोद महाजन ने नितिन गडकरी से कहा कि वे धीरूभाई से मिलें और समझें। नितिन गडकरी एक दिन धीरूभाई से मिलने गए। अनिल, मुकेश धीरूभाई और गडकरी ने  साथ में भोजन किया। डिनर के बाद धीरूभाई ने नितिन से पूछा कि सड़क कैसे बनानी है? यदि निविदा खारिज कर दी जाती है, तो अब यह कैसे होगा? बोलते हुए, धीरूभाई ने नितिन गडकरी को एक तरह से चुनौती दी। उन्होंने कहा मैंने ऐसे करने वाले बहुत लोगो को देखा है लेकिन कुछ नहीं होगा। नितिन गडकरी ने भी धीरूभाई की बात  को दिल पे ले लिया और कहा कि  धीरूभाई, अगर मैं इस सड़क का निर्माण नहीं करता हूं, तो मैं अपनी मूंछें काट दूंगा अगर बना दिया तो आप क्या करोगे उनकी बैठक समाप्त हुई।और नितिन अम्बानी को चैलेंज देकर आ गए .



नितिन गडकरी ने उस समय राज्य में महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की स्थापना की। सवाल था कि पैसा कहां से आएगा। नितिन गडकरी ने कई कंपनियों को पैसे के लिए प्रस्ताव भेजे जिसके बाद सड़क निर्माण के लिए पैसे भी आये । मनोहर जोशी और गोपीनाथ मुंडे की मदद से और मुंगिरवार इंजीनियर की देखरेख में काम शुरू हुआ। नितिन गडकरी ने 2,000 करोड़ रुपये से कम में काम करके दिखाया. 

धीरूभाई ने एक दिन हेलीकॉप्टर से सड़क देखी। उन्होंने तुरंत नितिन गडकरी को मिलने के लिए बुलाया। वे मेकर्स चैंबर में फिर से मिले। जब वे मिले, तो धीरूभाई ने कहा, "नितिन, मैं हार गया, तुम जीत गए।" आपने  सड़क बनाकर दिखाया . धीरूभाई ने नितिन गडकरी से कहा कि अगर देश में आप जैसे 4-5 लोग हैं, तो देश का भाग्य बदल जाएगा। सरकारी धन को बचाने के लिए धीरुभाई जैसे बड़े व्यक्ति के साथ पंगा लेने वाले नितिन गडकरी ने चुनौती  देकर अपना काम किया इसलिए गडकरी का ये किस्सा काफी फेमस है.  

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