मैं चाहता हूं कि मेरी मम्मी को फांसी न लगे,क्या बचेगी शबनम?

Update: 2021-02-22 03:45 GMT

लखनऊ। फांसी पर चढ़ने के करीब पहुंच चुकी शबनम से मुलाकात करने उसका बेटा रामपुर जेल पहुंचा। बेटे से मुलाकात के दौरान शबनम ने कहा कि वह बेगुनाह है। सरकार मामले की सीबीआई जांच करा ले। बेटे के साथ उसे गोद लेने वाले भी थे। अमरोहा के बावनखेड़ी में 14/15 अप्रैल 2008 को परिवार के सात सदस्यों को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर मौत के घाट उतारने वाली शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई है। जुलाई 2019 से वह रामपुर की जेल में है।

राष्ट्रपति के यहां से दया याचिका खारिज होने के बाद इन दिनों शबनम की फांसी की तैयारी मथुरा जेल में चल रही है। बाहर आए बेटे ने बताया कि उसकी मम्मी ने उससे कहा है कि मन लगाकर पढ़ाई करें। मैं चाहता हूं कि मेरी मम्मी को फांसी न लगे। इसके लिए राष्ट्रपति अंकल से भी गुजारिश की है। उन्हें पत्र लिखा है कि उसकी मम्मी को फांसी न दी जाए। बेटे को गोद लेने वाले ने बताया कि शबनम ने उन लोगों से कहा है कि वह बेगुनाह है।

इतने दिन बाद सीबीआई जांच की बात क्यों की जा रही है, इसके जवाब में वह बोले कि शबनम पहले भी खुद को बेगुनाह बताती रही है। उसकी बात नहीं सुनी गई। पिछले दिनों मीडिया में उसे फांसी लगने की खबरें आई तो वह घबरा गई। बेटा भी परेशान था, इसीलिए दोनों की मुलाकात कराई गई। दोनों को मिलकर तसल्ली मिली है। शबनम अब क्यों घबरा रही है, इसके जवाब में वह बोले कि शबनम कोई क्रांतिकारी नहीं है जो भगत सिंह की तरह हंसते हुए फांसी पर झूल जाए। मौत की खबर से वह परेशान है और चाहती है कि उसे इंसाफ मिले। उसे बचाने के लिए एक बार फिर राज्यपाल और राष्ट्रपति से गुहार लगाई गई है‌। 

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