Mumbai:आधी सदी बीत गई पर चेंबूर के इन सफाई कर्मियों को नहीं मिला अब तक उनका आशियाना
मांग पूरी नहीं होने तक हर चुनाव का करेंगे बहिष्कार: मनोज चंदेलिया
मुंबई। BMC में काम करने वाले कचरा विभाग के सैकड़ों कर्मचारियों का परिवार पिछले कई सालों से'आश्रय योजना' के तहत मिलने वाले घर के मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रहा है पर इतने साल बीत जाने के बाद भी इनके हाथ सिर्फ निराशा ही लगी है. पिछले 58 वर्ष से मालिकाना हक का इंतज़ार कर रहे चेंबूर पी-एल लोखंडे मार्ग की 21 इमारतों वाली BMC कॉलोनियों में रहने वाले करीब 492 कर्मचारियों के परिवार की लड़ाई लड़ने वाली चेंबूर रेसिडेंट्स असोसिएसन ने मांग पूरी नहीं होने तक नगरसेवक, विधानसभा और लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है।
यहां पर मनपा की 16 इमारत 450 स्क्वायर फीट और 5 इमारत 180 स्क्वायर फीट की है.मनपा की इस कॉलोनी में सफाई कर्मचारियों का करीब 492 परिवार 1962 से रहता आ रहा है.पिछले चार पीढ़ी से सफाई कर्मचारियों का परिवार बीएमसी कचरा विभाग में काम करता है.सभी 21 इमारतें जर्जर होने के बावजूद बीएमसी उन्हें सिर्फ मरम्मत कर सैकड़ों परिवार की जिंदगी खतरे में डाल रही है.पर राज्य सरकार ना तो इन्हें"आश्रय योजना"के तहत मालिकाना हक दे रही है और ना ही पब्लिक प्राइवेट पार्टनर शिप (पीपीपी) के तहत विकास कर रहीं है जबकि राज्य सरकार सफाई कर्मियों को घर देने के लिए वचनबद्ध है।
'आश्रय योजना' व 'डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर श्रमसाफल्य योजना'
मुंबई को साफ सुथरा रखने वाले सफाई कर्मचारियों को घर देने के लिए BMC 'आश्रय योजना' व सरकार की ओर से 'डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर श्रमसाफल्य योजना' शुरू की गई है. इसके तहत सफाई कर्मचारियों के घरों का पुर्नवसन कर तय समय के अंदर उनको घर मुहैया कराने के लिए प्रयत्नशील है.राज्य की नगरपालिका व महानगरपालिका में जिस सफाई कर्मचारी ने 25 साल से ज्यादा सेवा दी है, ऐसे सफाई कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति या फिर सफाई कर्मचारी की सेवा के दौरान निधन होने पर उस सफाई कर्मचारियों के वारिसदार को मालिकाना हक वाला 269 वर्ग फुट का मकान मुफ्त में देंगे, इस तरह की जानकारी बीजेपी-शिवसेना सरकार में रहे नगर विकास राज्यमंत्री डॉ रणजीत पाटील ने 8 अप्रैल 2017 में दी थी.
शहर को क्लीन रखने वालों के साथ कब तक नाइंसाफी
मनपा की जर्जर इमारतों की मरम्मत के समय चेंबूर इलाके में सफाई कर्मियों के परिवार के लिए बनाए गए ट्रांजिट कैंप में रखा गया था, पर पिछले 12 साल से कुछ परिवार इसी ट्रांजिट कैंप में रह रहे है,बीएमसी के इस ट्रांजिट कैंप में बरसात के समय पानी घरों में दाखिल हो जाता है और घरों का स्लैप कमजोर होने की वजह से गिरता रहता है जिससे यहाँ रहना भी मुश्किल होता है.खुद का घर खरीदने के लिए कम से कम 50 लाख रुपए की आवश्यकता है,बैंक से लोन लेकर घर खरीदते है तो हर महीने 50 हजार रुपए का लोन आएगा,इसके लिए पगार कम से कम 70 हजार रुपए होनी चाहिए जो की नहीं है।--रमेश जाधव-पूर्व बीएमसी कर्मचारी
सफाई कर्मियों को जल्द मिलेगा घर
चेंबूर इलाके की पी-एल लोखंडे मार्ग स्थित बीएमसी की इमारतों में रहने वाले और बीएमसी में काम करने वाले कचरा विभाग के कर्मचारियों के लिए मुंबई महानगरपालिका आयुक्त इकबाल सिंह चहल से पिछले ही दिनों मुलाकात की है और जल्द ही सफाई कर्मियों के परिवार के लिए 'आश्रय योजना' और 'डॉ बाबासाहेब आंबेडकर श्रमसाफल्य योजना'के तहत घर बना कर दिया जायेगा, इसके लिए काम भी शुरू है।- राहुल शेवाले, सांसद, शिवसेना
मांग पूरी नहीं होने तक चुनाव का करेंगे बहिष्कार
हम 2013 से लगातार बीजेपी-शिवसेना की सरकार से लेकर अभी तक की महाविकास आघाडी सरकार से पत्र व्यवहार कर इन घरों पर मालिकाना हक या फिर बीएमसी की इन इमारतों का पब्लिक प्राइवेट पार्टनर शिप के तहत विकास करने की मांग कर रहे है.स्वच्छता अभियान के तहत देश और शहरों में काम करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी पत्र लिखकर इस मामले में संज्ञान लेने की अपील की है पर अभी तक किसी ने भी हमारी इस समस्या पर कोई संज्ञान नहीं लिया है.इसके लिए हमने मांग पूरी नहीं होने तक नगरसेवक-विधानसभा और लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।- मनोज चंदेलिया, अध्यक्ष चेंबूर रेसिडेंट्स असोसिएसन