क्या रद्द हो रहा कृषि कानून? सरकार ने मानी किसानों की शर्तें,

Update: 2020-12-30 15:25 GMT

नई दिल्ली: कृषि कानून को रद्द करने की मांग के साथ किसान पिछले 34 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। सरकार के साथ कई दौर की वार्ता हुई लेकिन सब विफल। दरअसल, जहां एक तरफ किसान इस कानून को रद्द करने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं, तो वहीं सरकार भी अड़ी हुई है और अब तो ऐसा लगता है कि सरकार कानूनों को वापस न लेने का फैसला कर चुकी है। आपको बता दें कि किसानों और सरकार के बीच अब तक 5 से 6 स्तर की बात हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई है।

गौरतलब है कि केंद्र की ओर से लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों ने बुधवार को फिर सरकार के साथ बातचीत की। बता दें कि इस वार्ता के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि "न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार ने समिति बनाने की सहमति दी है। यह किसानों और सरकारों के बीच सातवें दौर की बैठक थी। अगली बैठक चार जनवरी को होगी"।

उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि "किसान यूनियन ने जो चार मुद्दे रखे थे, उनमें से दो पर सरकार और यूनियन के बीच सहमति हो गई है। इसमें पहला मुद्दा पर्यावरण और पराली का है, जिस पर दोनों पक्ष रजामंद हो गए हैं। दूसरा मुद्दा बिजली का था, इस पर यूनियन की मांग थी कि किसानों को सिंचाई के लिए बिजली सब्सिडी जारी रखनी चाहिए। इस पर भी सरकार व यूनियन में सहमति हो गई है।

जानकारी के लिए बता दें कि किसान नेता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद कहा कि "अब दो चीजें शेष रह गई हैं, उन पर चार जनवरी को बात होगी। तब तक किसानों का शांतिपूर्ण धरना जारी रहेगा"। उन्होंने कहा कि "आज अच्छे माहौल में बात हुई सरकार ने आज हमारी दो बातें मान ली हैं। सरकार लाइन पर आई है, हम आज की बातचीत से खुश हैं।

मालूम हो कि दिल्ली के सभी बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान इस कड़ाके की ठंड में 1 महीने से भी ज्यादा से डटे हुए हैं और सभी किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। साथ ही बता दें कि इनमें से ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से आए हैं।

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