अयोध्या भूमि विवाद में शाहरुख खान को मध्यस्थता बनाने चाहते थे पूर्व CJI बोबडे
मुंबई : अयोध्या भूमि विवाद में बॉलीवुड के किंग खान यानी की शाहरुख खान को मध्यस्थता बनाने चाहते थे पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे. इस बात का खुलासा पहली बार सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम सिंह ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के विदाई समारोह के मौके पर अपने संबोधन में किया.
बता दें कि अयोध्या विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थता के लिए समिति का गठन मार्च 2019 में तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने किया था, जस्टिस बोबडे के इस प्रयास की सराहना करते हुए विक्रम सिंह ने कहा कि 'अभिनेता भी इसके लिये सहमत थे, लेकिन यह प्रक्रिया फलीभूत नहीं हो सकी.'
उन्होंने आगे कहा कि 'जस्टिस बोबडे जब अयोध्या मामले की सुनवाई के शुरुआती चरण में थे तब उनका यह दृढ़ मत था कि समस्या का समाधान मध्यस्थता के जरिये हो सकता है.'
विक्रम सिंह ने जानकारी देते हुए आगे कहा कि 'जहां तक अयोध्या विवाद की बात है, मैं आपको अपने और जस्टिस बोबडे का एक राज बताता हूं, जब वह सुनवाई के शुरुआती चरण में थे, तो उन्होंने मुझसे पूछा कि था कि क्या शाहरुख खान समिति का हिस्सा हो सकते हैं. उन्होंने मुझसे पूछा क्योंकि वह जानते थे कि मैं खान के परिवार को जानता हूं. मैंने खान से इस मामले पर चर्चा की और वह इसके लिये सहमत थे.'
विक्रम सिंह ने आगे कहा कि 'खान ने यहां तक कहा कि मंदिर की नींव मुसलमानों द्वारा रखी जाए और मस्जिद की नींव हिंदुओं द्वारा, लेकिन मध्यस्थता प्रक्रिया विफल हो गई और इसलिये यह योजना छोड़ दी गई. लेकिन, सांप्रदायिक तनाव को मध्यस्थता के जरिये सुलझाने की उनकी इच्छा उल्लेखनीय थी.'
आपको बता दें कि जस्टिस बोबडे को नबंर 2019 में देश के 47वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में शपथ दिलाई गई थी और उसके बाद वो सेवानिवृत्त गये थे. इसके बाद पूरी अदालत में अपने विदाई भाषाण में उन्होंने कहा था कि 'आखिरी दिन मिली-जुली अनुभूति होती है, जिसे बयां करना मुश्किल है.'
उन्होंने कहा कि 'मैं इस तरह के समारोहों में पहले भी शामिल हुआ हूं लेकिन कभी ऐसी मिली-जुली अनुभूति नहीं हुई. इसीलिए तब मैं अपनी बातें स्पष्ट तौर पर कह सका.