मुंबई : किसानों के आंदोलन का आज 14वां दिन हैं. साथ ही कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघू बॉर्डर पर किसान ड़टे हुए हैं. आपको बता दें कि किसानों ने आज सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया हैं. केंद्र सरकार ने किसानों को कृषि कानूनों को खत्म करने के बजाय संशोधन का का अपना प्रस्ताव भेजा था. इस प्रस्ताव पर सिंघू बॉर्डर पर किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया. आखिर इस सरकार के प्रस्ताव में क्या था और किसानों ने इसे क्यों ठुकरा दिया ये सवाल आपके मन में भी हैं तो आइए जानते हैं कि आखिर इस प्रस्ताव में सरकार ने क्या लिखित में भेजा था...
इस प्रस्ताव में मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का जिक्र किया गया था. इसके अलावा सरकार की ओर से प्रस्ताव में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, मंडी सिस्टम में किसानों की सहूलियत देने और प्राइवेट प्लेयर्स पर टैक्स लगाने की बात की गई थी. इसके साथ ही सरकार ने किसानों को छठे दौर की बातचीत के लिए निमंत्रण भी दिया था. जिसको किसानों ने ठुकरा दिया हैं.
साथ ही इस प्रस्ताव में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कानून में संशोधन कर कोर्ट जाने के अधिकार को शामिल करने को सरकार राजी है.
सरकार ने इस बात पर राजीनामा दिया कि प्राइवेट प्लेयर अभी पैन कार्ड की मदद से काम कर सकते हैं, लेकिन किसानों ने पंजीकरण व्यवस्था की बात कही.
इसके अलावा प्राइवेट प्लेयर्स पर कुछ टैक्स की बात भी सरकार मानने को तैयार है. प्रस्ताव में ये भी कहा गया हैं कि एमएसपी खत्म नहीं होगा. जिस बात को लेकर किसान ने इसे ठुकरा दिया हैं.
आपको बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि इस ठंड में किसान अपनी नाखुशी जताते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सड़कों पर उतर रहे हैं. इस मुद्दे को हल करना सरकार का कर्तव्य है.
साथ ही किसानों ने साफ कर दिया हैं प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कि किसान अभी भी आंदोलन अपना जारी रखेंगे. किसान नेताओं का कहना हैं कि दोबारा प्रस्ताव आया तो विचार करेंगे और पूरे देश में आन्दोलन तेज़ करेंगे. और आगे किसान नेताओं ने कहा कि दिल्ली की सड़कों को जाम रखेंगे, कानून रद्द होने तक संघर्ष जारी रहेगा, 12 तारीख तक टोल प्लाजा को फ्री करेंगे व बीजेपी नेता और मंत्रियों का घेराव करेंगे.