मुंबई :दिन प्रतिदिन कोरोना वायरस(covid19) की दूसरी लहर का असर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने हर रोज़ करीब 4 लाख नए केस सामने आ रहे थे। फिलहाल की स्थिति के मुताबिक इन दिनों हर रोज संक्रमितों की संख्या एक लाख से कम दर्ज की जा रही है। हालांकि चिंता की बात ये है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं।
जानकारी के अनुसार ऐसी परेशानियों को डॉक्टर 'लॉन्ग कोविड' (long covid) का नाम दे रहे हैं। यह वो बीमारियां है जो कोरोना के बाद लोगों की सेहत से जुड़ी परेशानियां उत्पन्न करती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आज बेंगलुरू के फोर्टिस अस्पताल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर राजपाल सिंह कोविड -19 से ठीक होने के बाद हृदय संबंधी जटिलताओं और हार्ट से जुड़ी दिक्कतों के बार में बताया।
जानिऐ क्या है हार्ट पर इसका असर
डॉक्टर राजपाल सिंह ने बातचीत के दौरान कहा, ''कोविड बीमारी हृदय को प्रभावित करती है। कोरोना से गंभीर संक्रमित मरीज़ों के हार्ट को करीब 20-25% तक नुकसान पहुंचता है। इस बात के प्रमाण हैं कि कोरोना का प्रभाव हृदय पर लंबे समय तक रहता है। इससे मरीजों में हार्ट अटैक की संभावना रहती है।''
डॉक्टर सिंह ने यह भी बताया कि मरीज़ों में हृदय गति रुकने के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जैसे कि भारी काम के दौरान सांस लेने में तकलीफ होना, बिस्तर पर लेटने में परेशानी होना या पैरों में सूजन होना। इसके अलावा सीने में दर्द, अचानक धड़कन बढ़ना या घटना और चक्कर आदि आना भी हो सकता है। यदि कोविड रोगियों के ठीक होने में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो 'इंतजार करने' या घरेलू उपचार की कोशिश करने के बजाय, तुरंत एक डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
बता दें कि कुछ अध्ययन और विशेषज्ञों का ये भी दावा है कि कोविड-19 से ठीक होने वाले कुछ लोगों में पीओटीएस (पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैचीकार्डिया सिंड्रोम) होने की भी संभावना होती है।
दरअसल POTS (Postural orthostatic tachycardia syndrome) सीधे रोगी के हृदय को प्रभावित नहीं करता है, बल्कि हृदय कि गति को बढ़ा सकता है, जिससे आगे चलकर ब्रेन फॉग और हल्का सिरदर्द हो सकता है। डॉक्टर ने आगे बताया, ''उपचार के संदर्भ में, रक्त को पतला करने वाली दवाओं और थक्कारोगी के शुरुआती उपयोग से इन सीक्वेल को रोकने और उनका इलाज करने में मदद मिल सकती है। यह आवश्यक है कि ऐसे लक्षणों का अनुभव करने वाले किसी प्रशिक्षित हृदय रोग विशेषज्ञ से मिलें जो उनका उचित मूल्यांकन और उपचार कर सकें।''