किसान आंदोलन से होने वाले इन राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को लग सकता है झटका?

Update: 2021-02-04 10:54 GMT
फाइल photo

पंजाब-हरियाणा ही नहीं, तीन नए कृषि कानून को लेकर किसानों का विरोध पश्चिमी यूपी के जाट किसान इस आंदोलन की जड़़ में हैं. भाजपा के लिए चिंता की बात है क्योंकि पश्चिमी यूपी में 44 विधानसभा सीटें हैं और उनमें से 20-22 सीटों पर जाट वोटर हार-जीत तय करते हैं.आंकड़ों पर गौर करें तो 2017 के यूपी विधान सभा चुनावों में भाजपा को कुल 41 फीसदी वोट मिले थे पर पश्चिमी यूपी में भाजपा को करीब 44 फीसदी वोट मिले थे. 2019 के लोकसभा चुनावों में भी यूपी में भाजपा को कुल 50 फीसदी वोट मिले थे पर पश्चिमी यूपी में उसे 52 फीसदी वोट मिले थे. 2014 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर भी गौर करें तो पूरे यूपी में भाजपा को 42 फीसदी वोट मिले थे लेकिन पश्चिमी यूपी में यह आंकड़ा 50 फीसदी था. यूपी विधानसभा चुनाव में अभी एक साल का वक्त है. वहां 2022 के शुरू में चुनाव होने हैं.

भाजपा के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है और उसे इसके नुकसान उठाने पड़ सकते हैं क्योंकि गन्ना पैकेज के बावजूद किसानों को गन्ने की बढ़ी कीमत नहीं मिल रही.अगर किसानों ने आंदोलन लंबा खींचा तो सत्ताधारी भाजपा को कई मोर्चों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसका असर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड पर भी पड़ सकता है. वहां भी 2022 में चुनाव होने हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहले ही किसानों का विरोध-प्रदर्शन झेल चुके हैं और उन्हें अपनी सभा रद्द करनी पड़ी है. डेढ़ साल पहले ही सत्ता पर कब्जा पाने वाले खट्टर की पकड़ वहां कमजोर होती दिखी.हरियाणा में हालिया निकाय चुनावों में किसान आंदोलन की वजह से ही भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है. मुख्यमंत्री खट्टर भी कह चुके हैं कि किसान आंदोलन की वजह से ही पार्टी की हार हुई है. फिलहाल, वहां चुनाव नहीं है.पंजाब में भी अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं. कृषि कानून के मुद्दे पर पहले से ही वहां एनडीए टूट चुका है. भाजपा और अकाली दल की राहें अलग हो चुकी है।

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