भोपाल। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों की जनता ने कोरोना संक्रमण के डर को हराते हुए उपचुनावों में जमकर मतदान किया था, 10 नवंबर को फैसले का दिन है, यानी मतगणना का। मंगलवार शाम तक तय हो जाएगा की मध्य प्रदेश में इन सीटों पर किस पार्टी को जीत मिलेगी। सत्ता का भविष्य तय करने वाले इस उपचुनाव में 69.60 फीसद मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया था। पहली बार मध्य प्रदेश के लोकतंत्रिक इतिहास में एक साथ 28 विधानसभा सीटों को लेकर उपचुनाव कराए गए थे, जिसमें से 27 सीटें कांग्रेस की थीं, जिसके 25 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था वहीं 2 विधायकों का निधन हो गया था।
बंपर मतदान ने भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों की धड़कनें बढ़ा दी हैं क्योंकि इतने अधिक मतदान की उम्मीद दोनों ही नहीं कर रहे थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में इन क्षेत्रों में 72.93 फीसद मतदान हुआ था। उपचुनाव के परिणाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की सियासत का भविष्य भी तय करेंगे। उप-चुनाव परिणाम आने से पहले कांग्रेस और भाजपा अपने अनुमान के आधार पर अपनी जीत का दावा कर रही है।
इस वक्त दोनों की पार्टियों के नेताओं में बैचनी बढ़ी हुई है क्योंकि राज्य इन सीटों के परिणाम से ही तय होगा कि कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा मजबूत होगी। इन दावों के बीच कांग्रेस ने उप-चुनाव में ईवीएम के जरिए धांधली की आशंका व्क्त की है। ऐसे में अब कांग्रेस पर भी सवाल उठना शुरू हो गया है क्योंकि साल 2018 में जिस ईवीएम के जरिये विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक सीटें जीतकर कांग्रेस मध्य प्रदेश में लौटी थी। उसी पर अब सवाल उठा रही है।