शिवसेना के निशाने पर कांग्रेस,शरद पवार को UPA की कमान सौंपने की वकालत

Update: 2020-12-26 08:42 GMT

मुंबई। शिवसेना ने सामना के संपादकीय के जरिए UPA और उसके सहयोगियों पर जमकर बोला गया है.साथ ही राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाये गये हैं। परोक्ष रुप से यूपीए का नेतृत्व शरद पवार को सौंपने की वकालत की गयी है.सामना में किसान आंदोलन को लेकर विपक्षी दलों के एकजुट न होने को लेकर भी उनकी आलोचना की गयी. संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि अगर किसान आंदोलन के तीस दिनों के बाद भी नतीजा नहीं निकल पाया है तो सरकार यह सोचती है कि उसे कोई राजनीतिक खतरा नहीं है. किसी भी लोकतंत्र में विपक्ष अहम किरदार अदा करता है. कांग्रेस और यूपीए मोदी सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम रहे. केंद्र में मौजूदा विपक्ष बेजान हो चुका है.सामना में सीधे-सीधे कांग्रेस का नाम लिए बिना लिखा गया है, पार्टी के नेतृत्व में यूपीए नाम का एक राजनीतिक संगठन है. इस यूपीए की अवस्था फिलहाल एक NGO की तरह नजर आती है.

यूपीए में शामिल NCP के अलावा दूसरी पार्टियां किसानों के इस मुद्दे पर आक्रमक होती नहीं दिखाई दे रही है.राष्ट्रीय स्तर पर शरद पवार का व्यक्तित्व बिल्कुल अलग है और उनके राजनीतिक अनुभव का फायदा प्रधानमंत्री से लेकर अन्य पार्टियां लेती हैं. केंद्र सत्ता के माध्यम से ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश कर रही है. ऐसे वक्त में सभी विपक्षी दलों को चाहिए कि वे ममता को अपना समर्थन दें. मुसीबत की इस घड़ी में ममता लगातार शरद पवार से संपर्क हैं. ऐसी स्थिति में कांग्रेस को आगे आने की जरूरत थी. कांग्रेस की स्थिति इतनी विकराल हो गयी है कि पार्टी के पास पूर्णकालिक अध्यक्ष तक नहीं है. कांग्रेस के अगले अध्यक्ष के चुनाव पर भी सवाल खड़ा किया गया है.

कहा गया है कि सोनिया गांधी कांग्रेस और यूपीए दोनों की अध्यक्ष हैं. अभी तक उन्होंने यूपीए अध्यक्ष की जिम्मेदारी को बखूबी संभाला है. पर उनकी मदद के लिए मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल हुआ करते थे, जो अब नहीं हैं. कांग्रेस के अगले अध्यक्ष और यूपीए के भविष्य को लेकर भ्रम बरकरार है.कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि वे व्यक्तिगत तौर पर केंद्र सरकार को घेरने का काम कर रहे. लेकिन, उनमें कहीं ना कहीं कुछ कमी है. टीएमसी, शिवसेना, अकाली दल, बीएसपी, जगन मोहन रेड्डी, नवीन पटनायक कृषि कानूनों को लेकर भाजपा का विरोध कर रहे हैं. पर, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में ये लोग शामिल नहीं हैं।

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