बिहार चुनाव में का बा, पैसे और बाहुबलियों का बोलबाला बा!

Update: 2020-10-10 09:48 GMT

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार धनकुबेरों और बाहुबलियों का बोलबाला है। राज्य में वर्ष 2005 के बाद से अब तक हुए चुनावों के उम्मीदवारों और जीत हासिल करने वाले विधायकों व सांसदों के विश्लेषण के बाद जो रिपोर्ट सामने आई है उसका लब्बोलुआब यही है। विश्लेषण इलेक्शन वाच और एडीआर ने किया और उसकी रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005 से अब तक 10785 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे जिनका विश्लेषण किया गया।

इन उम्मीदवारों में 30 प्रतिशत ऐसे थे, जिन्होंने खुद पर लगे आपराधिक आरोपों की घोषणा की। इन दागी लोगों में 20 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर अपराध के आरोप हैं। जीत के बाद 820 सांसद व विधायकों का विश्लेषण हुआ तो इनमें 57 प्रतिशत पर आपराधिक आरोप थे, जिनमें 36 प्रतिशत पर गंभीर अपराध के आरोप थे। यानी वही उम्मीदवार ज्यादा जीते जिन पर अपराधिक घटनाओं में लिप्त होने का आरोप है।इसी तरह अगर उम्मीदवार की संपत्ति और जीते लोगों की संपत्ति का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि दोनों के बीच का अंतर लगभग दूना है। सभी उम्मीदवारों के पास औसतन 1.09 करोड की संपत्ति थी।

जीत के बाद जब सांसद व विधायकों की संपत्ति का आकलन उनकी ही घोषणा के आधार पर किया गया तो औसत संपत्ति बढ़कर 2.25 करोड़ हो गई। हालांकि इस अवधि में बिहार की प्रति व्यक्ति आमदनी छह गुना बढ़ी है। 2005 में प्रति व्यक्ति आमदनी 7813 रुपये थी तो चालू वर्ष में यह 47 हजार 541 रुपये है।शिक्षा और अपराध की तुलना एक साथ करने पर नतीजे और रोचक निकले हैं। चुनाव मैदान में उतरे स्नातक या उसके अधिक की शिक्षा ग्रहण करने वालों में 33 प्रतिशत पर आपराधिक मामले के आरोपी हैं।

इनमें 21 प्रतिशत शिक्षित उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामलों का आरोप है। कम शिक्षित यानी 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण करने वाले उम्मीदवारों में 29 प्रतिशत ही आपराधिक घटनाओं के आरोपी हैं। गंभीर आपराधिक घटनाओं के आरोपी 20 प्रतिशत हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह साफ है कि धन और अपराध से राजनीति का सीधा संबंध है।

Tags:    

Similar News