मुंबई। पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पत्र के बाद उद्धव सरकार के सामने नई मुसीबत आ गई है। वहीं महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का सियासी करियर भी ख़तरे में लगने लगा है। अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार के सामने डैमेज कंट्रोल करने की बड़ी चुनौती है। अनिल देशमुख महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के नागपुर ज़िले के कटोल के पास वाडविहिरा गांव के हैं। उन्होंने वर्ष 1995 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता। तब उन्होंने शिवसेना भाजपा सरकार का समर्थन किया और बदले में मंत्रीपद लिया।
हालांकि बाद में वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ आ गए। अनिल देशमुख को शरद पवार का बेहद करीबी माना जाता है। देशमुख विदर्भ से आते है। नागपुर में पले बढ़े अनिल देशमुख ने 1970 के दशक में ही सियासत में पांव रख दिया था। पहली बार 1992 में जिला परिषद के चुनाव से उन्होंने चुनावी राजनीति में पदार्पण किया। वो ज़िला परिषद का चुनाव जीत गए थे। यहीं से उन्होंने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। उन्होंने साल 1995 में कांग्रेस से टिकट मांगा मगर जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े और जीत भी गए।
मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के क़रीब मिली विस्फोटकों से भरी कार की जांच के विवाद में अब गृहमंत्री अनिल देशमुख भी फंस गए हैं। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने पत्र लिखकर गृहमंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब किसी वरिष्ठ अधिकारी ने देशमुख पर निशाना साधा है। अप्रैल 2020 में महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेट्री कमिशन के चेयरमैन आनंद कुलकर्णी ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए देशमुख के विरुद्ध पोस्ट लिखी थी।
अपनी पोस्ट में उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने देशमुख के पिछले कामों पर होमवर्क किया है और वो सही वक्त पर जुटाई गई जानकारियों को सार्वजनिक करेंगे। देशमुख अपने बयानों से भी चर्चित रहे। जब अन्वय नाइक की मौत के मामले में टीवी एंकर अर्णब गोस्वामी घिर रहे थे तब उन्होंने विधानसभा में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने कार्यकाल के दौरान इस मामले को दबा दिया था।