Health News> mask पहनने से 60 प्रतिशत कम हो जाता है कोरोना का खतरा, जानें यहां...
कोविड-19 मास्क पहनना (सबसे प्रभावी, व्यवहारिक और किफायती उपाय माना जा रहा है, जिसकी ओर जनता का ध्यान आकर्षित करने और इसे अपनाने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है.मास्क पहनने के महत्व को ध्यान में रखते हुए और व्यवहार में बदलाव लाने के लिए इस संदेश के व्यापक प्रसार हेतु स्वास्थ्य सेवा के लिए समर्पित समूह हील फाउंडेशन ने आईसीसीआईडीडी के सहयोग से सबसे बड़ी दूसरी भारत स्वास्थ्य सेवा – ई शिखर सम्मेलन, पिछले दिनों आयोजित किया. इसमें मास्क का विज्ञान – प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने पर विशेष सत्र रखा गया. सत्र का संचालन फाउंडेशन फ़ॉर युनिवर्सल रिपांस्सिबिलिटी ऑफ एच एच दी दलाई लामा के संरक्षक और सचिव राजीव मेहरोत्रा ने किया. इस सत्र में मास्क से संबंधित विस्तृत विषयों को सम्मिलित किया गया, जिसमें प्रख्यात शिक्षाविद् और पद्म पुरूस्कार विजेता डॉ. पुष्पेश पंत ने मास्क के इतिहास और भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ इसके संबंधों पर विस्तार से बताया.
इसके अलावा, “मास्क इज़ मस्ट” के द्वारा ‘कोरोना वायरस से मुक्ति‘ का शुभारंभ भी हील फाउंडेशन के द्वारा किया गया. यह अभियान सही समय पर शुरू किया गया है, जो संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने और जनता के व्यवहार में परिवर्तन लाने में सहायक हो सकता है.दूसरी भारत स्वास्थ्य सेवा - ई-शिखर सम्मेलन के दौरान मास्क पहनने के महत्व और इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के अध्यक्ष और पद्म पुरूस्कार विजेता, प्रो. के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा, “मास्क पहनना अनिवार्य है, क्योंकि कोविड-19 वायरस मुख्यरूप से नाक और मुंह के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है और मास्क दोनों को ढक लेता है. मास्क पहनने से संक्रमण से बचा जा सकता है. यदि हम ज़ोर से बोलते हैं तो हम हवा में बहुत सारे वायरस छोड़ देते हैं. लेकिन जब हम छींकते हैं या खांसते हैं, तो बीस करोड़ से अधिक वायरस वातावरण में फैल जाते हैं, जिससे अधिक लोगों के संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है.”प्रो. रेड्डी ने आगे कहा, “मास्क पहनना आपको संक्रमित होने से और दूसरों को संक्रमित करने से बचाता है. मास्क पहनने के पीछे ये वैज्ञानिक कारण हैं.
केवल हाथ धोने और मास्क पहनने से संक्रमण की आशंका 60 प्रतिशत तक कम हो जाती है. लोगों को मास्क पहनने के लिए प्रेरित करने का अभियान इस कठिन समय में एक बहुत आवश्यक पहल है, क्योंकि इस तरह के अभियान जनता के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए चलाए जाते हैं.”प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ते हुए और मास्क के महत्व के बारे में बताते हुए आईसीसीआईडीडी के अध्यक्ष और शीर्ष वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत एस. पांडव ने कहा, “किसी भी संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए मास्क सर्वोत्कृष्ट है और विशेषरूप से कोविड-19 से, क्योंकि यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है. हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने जन स्वास्थ्य का पालन करने के लिए नया प्रतिमान स्थापित किया है. किसी न किसी रूप में मास्क और हाथ धोना हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रहा है. कोविड-19 के संक्रमण से लड़ने के लिए ‘मास्क अत्यावश्यक है’.”डॉ. पांडव ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “हालांकि, सामान्य और स्वस्थ्य रहने के लिए, हमें तीन एम का पालन करना होगा – ‘मंत्र जाप’, ‘ध्यान’ और ‘संगीत’. और मैं योग के प्राचीन ज्ञान को पहचानने और 21 जून के ‘विश्व योग दिवस’ घोषित करने के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री का आभारी हूं. मास्क आपको संक्रमण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हमें अपने समाज के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए मास्क का इस्तेमाल करने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए, जो इस महामारी से लड़ने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
”भारत में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए एक सबसे प्रमुख उपाय के रूप में ‘मास्क इज़ मस्ट’ का एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया गया है. हील फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव ने लोगों से अपील की है कि मास्क पहनने का निष्ठापूर्वक पालन करें, क्योंकि इसके कुछ निश्चित लाभ हैं.मास्क पहनने को अपनी आदत बनाने के बारे में बताते हुए, पुणे स्थित वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी के प्रीमियम फैकल्टी मैंबर प्रो. शीतल विज़ ने कहा, “मास्क का इस्तेमाल प्राचीन काल से अनुष्ठानिक के साथ ही व्यवहारिक उद्देश्यों दोनों के लिए ही किया जाता रहा है. इस महामारी से पहले, मेरे लिए मास्क चेहरे की सुरक्षा के लिए एक सामान्य चीज थी, लेकिन अब यह आवश्यक हो गया है. प्राचीन समय में इसका उपयोग अनुष्ठानिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था, लेकिन 2020 में यह एक आरोग्यसाधक/मरहम के रूप में बदल गया है.”