18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो रहा है। अधिकमास 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल अधिकमास में कई शुभ संयोग बन रहे हैं। अधिकमास में 15 दिन शुभ संयोग बन रहे हैं। अधिकमास में सर्वार्थसिद्धि योग बनने से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। जबकि द्विपुष्कर योग में किए गए कार्यों का फल दोगुना मिलता है। पुष्य नक्षत्र खरीदारी के लिए शुभ साबित होगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित एमआर. रवि, मुंबई ने बताया कि अधिकमास को कुछ जगहों पर मलमास के नाम से भी जानते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मालिनमास होने के कारण कोई भी देवता इस माह में पूजा नहीं करवाना चाहता था। इस माह का देवता कोई भी नहीं बनना चाहता था। तब भगवान विष्णु ने मलमास को अपना नाम पुरुषोत्तम दिया था। तभी से इस माह को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जानते हैं। सूर्य साल 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। जबकि चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है। दोनों सालों के बीच करीब 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन साल में करीब एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है। इस अतिरिक्त होने की वजह से अधिकमास का नाम दिया गया। नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू होगी गौर 26 अक्टूबर को दशहरा और 14 नवंबर को दीपावली होगी। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास समाप्त हो जाएगा।
मलमास में क्या करने का है महत्व?
मलमास भगवान पुरुषोत्तम का महीना होता है, इसलिए इस मास में धर्म-कर्म खूब करना चाहिए। मलमास में सूर्योदय के पहले उठकर स्नान-ध्यान करने का विधान है। साथ ही श्रीमद्भागवत का पाठ करने से अमोघ पुण्यलाभ मिलता है। मलमास में उन लोगों को जरूर दान-पुण्य करना चाहिए जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ फल नहीं दे रहा हो।
मलमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि इस कार्य पर देवताओं का आशीर्वाद नहीं मिलता। इसलिए विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन व नए कार्य प्रारंभ नहीं करने चाहिए। मलमास में जितना हो सके धर्म से जुड़े कार्य करें और गरीबों की मदद करें। ऐसा करने वाले को भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद मिलता है।