बंगाल के हिंदीभाषी-मारवाड़ी किसके होंगे साथ TMC-BJP या Congress?

Update: 2021-03-24 02:30 GMT

कोलकाता। उत्तर कोलकाता की चार विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां हिंदीभाषी-मारवाड़ी बहुतायत में हैं और यहां अब धीरे-धीरे हिंदुत्व की लहर चलने लगी है. ममता बनर्जी के 'बंगालियाना' कार्ड के जवाब में बीजेपी ने जातियों को हाशिये पर रखकर अब पूरा जोर इस बात पर लगा दिया है कि हिन्दू बंगाली वोट पाने के लिए पूरी ताकत लगाई जाए. वैसे कोलकाता की ज्यादातर सीटों पर हिन्दू बंगालियों की संख्या 50 फीसदी से अधिक है।

पश्चिम बंगाल के कारोबार पर मारवाड़ियों का साम्राज्य है और हर चुनाव में उनकी अहम भूमिका रहती है. उनके कोलकाता में बसने की दास्तान बहुत दिलचस्प है. चाहे व्यापार हो या कोई और वजह हकीकत यह है कि देश के आज़ाद होने से बहुत पहले ही राजस्थान के लोगों ने इस शहर को अपना बसेरा बनाया और अपनी एक अलग पहचान बनाई. जिस तरह पश्चिमी भारत में गुजरातियों का दबदबा है, तो पूर्वी भारत में मारवाड़ी साम्राज्य का जलवा है।

कोलकाता और आसपास के इलाकों से अपने वर्चस्व की शुरुआत करने वाले मारवाड़ी समुदाय ने धीरे-धीरे पूरे देश में अपनी ऐसी छाप बनाई कि आज व्यापार-जगत के बड़े हिस्से की कमान उसके हाथ में है. व्यापार और मारवाड़ी आज एक-दूसरे के मानो पूरक बन चुके हैं.अंग्रेजों के आने से पहले ही मारवाड़ियों ने बंगाल को अपना ठिकाना बना लिया था. मारवाड़ियों ने सन 1840 के आसपास बड़ी संख्या में कोलकाता आकर बसना शुरु कर दिया.

तब वस्तुओं के आयात-निर्यात का कारोबार अंग्रेजों के हाथ में होता था, तो मारवाड़ियों ने उनके वितरण का जिम्मा अपने पास ले लिया. आज भी ब्रिटेन की कई कंपनियों की सप्लाई लाइन का प्रबंधन वे ही करते हैं. अनुमान के आधार पर सट्टेबाजी के जरिये मार्केट में कैसे उलटफेर करना है और उससे कैसे पैसा कमाना है, इसमें भी मारवाड़ियों को महारत हासिल है।

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