Women Reservation : कैबिनेट बैठक में इस महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दी गई
महिला आरक्षण बिल पिछले कई दिनों से चर्चा में बना हुआ है | यह बिल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है | उस समय एचडी देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रुप में इस बिल को संसद में पेश किया था, लेकिन यह बिल पारित नही हो सका था | बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फिसदी आरक्षण प्रस्ताव था | इस 33 फिसदी आरक्षण के भीतर ही अनुसूचित जाति (SC) , अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए उप-आरक्षण का प्रावधान था | लेकिन अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण का प्रवाधान नही था |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 18 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में इस महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दी गई | जानकारी के मुताबिक, संसद में बिल के पास हो जाने के बाद देश में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण रिर्जव हो जाएगा |
महिला आरक्षण बिल आखिर है क्या ?
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रवाधान है | लगभग 27 वर्षो से लंबित महिला आरक्षण विधेयक पर नए सिरे से जोर दिए जाने के बीच आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा में महिला सासंदो की संख्या 15 प्रतिशत से कम है | जबकि , बात करें राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्त्व 10 प्रतिशत से कम है | इस बिल में यह भी प्रस्ताव रखा गया है, कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए | आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के जरिए आवंटित की जा सकती है | इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण खत्म हो जाएगा |