ओबीसी आरक्षण के बिना प्रदेश में 367 जगहों पर चुनाव
ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण के बिना स्थानीय निकायों के लिए ओबीसी आरक्षण के बिना राज्य की 367 सीटों पर चुनाव होंगे...हालांकि, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने सरकार को एक बड़ा झटका दिया है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले हफ्ते ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने की अनुमति दिए जाने के बाद राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में राज्य चुनाव आयोग को फटकार लगाई है। मई में अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुसार 367 स्थानीय निकायों के चुनावों की अधिसूचना जारी की जानी थी और अदालत ने अपने बाद के आदेशों में बार-बार स्पष्ट किया कि आदेश बना हुआ है। लेकिन चुनाव आयोग ने अदालत में 367 स्थानीय निकायों के चुनावी कार्यक्रम के पुनर्गठन की स्थिति पेश की जिसके लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके लिए कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाई है। हमने बार-बार समझाया है कि अगर बारिश के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया है, तो पहले जारी चुनाव की अधिसूचना मान्य होगी, लेकिन आप इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
अदालत ने योजना आयोग पर निशाना साधते हुए कहा, "आप अपनी सुविधा के लिए और शायद किसी के इशारे पर हमारे आदेश को गलत तरीके से पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।" कोर्ट ने सीधी चेतावनी भी दी है कि क्या आप चाहते हैं कि हम राज्य चुनाव आयोग के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करें। जहां चुनाव कार्यक्रम की सूचना दी जाती है, वहां कार्यक्रम चलना चाहिए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग बारिश या बाढ़ की चिंताओं के कारण केवल तारीखों में बदलाव कर सकता है, लेकिन चुनाव कार्यक्रम नहीं।कुछ दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय के दबाव में राज्य चुनाव आयोग ने 92 नगर परिषदों एवं चार नगर पंचायतों के चुनाव घोषित करने के बाद उन पर रोक लगा दी थी। क्योंकि सत्ता पक्ष एवं विपक्ष, दोनों ही ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराए जाने का विरोध कर रहे थे। अब सर्वोच्च न्यायालय ने स्थानीय निकायों के सभी लंबित चुनावों की अधिसूचना दो सप्ताह के भीतर जारी कर जल्द से जल्द चुनाव कराने के आदेश राज्य चुनाव आयोग को दिए हैं। लेकिन न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि पहले घोषित हो चुके चुनावों में प्रत्याशियों को इस निर्णय का लाभ नहीं मिलेगा।