दिल्ली दौरा, बागियों में बगावत, इसमें में व्यस्त सरकार, ओबीसी आरक्षण पर ध्यान देने का समय नहीं -जयंत पाटील

Update: 2022-07-28 12:42 GMT

मुंबई: दिल्ली से खलबली पैदा करना... गुटों के बीच मतभेद दूर करना...समझौता फिक्स करना बीजेपी में एक गुट उपमुख्यमंत्री का पद मिलने से खफा है। वर्तमान सरकार इन सब धंधे में लगी हुई है। इसलिए एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व जल संसाधन मंत्री जयंत पाटील ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि सरकार के पास ओबीसी आरक्षण पर ध्यान देने का समय नहीं है। जयंत पाटील ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि एकनाथ शिंदे की सरकार के सत्ता में आने के 25 दिन से अधिक समय के बाद भी राज्य में कैबिनेट नहीं है। महाराष्ट्र में भारी बरसात किसानों, लोगों का बुरा हाल और परेशान है, लेकिन सरकार दिल्ली दिल्ली सत्ता के खेल में मस्त है। सरकार बनी लेकिन सरकार अस्तित्व में नहीं कोई जिले पालक मंत्री नहीं क्योंकि सरकार को बनकर करीब करीब 25 दिन एक महीना होने जा रहा है। 



सरकार पर जमकर हल्ला करते हुए कहा कि हजारों लोगों के सामने संकट है कहने से कुछ नहीं हो जाता कि हम कर रहे देख रहे है। पंचनामा बनाया है पालक मंत्री के न होने से कोई प्रशासनिक अधिकारी भी लोगों की मदद का पहल नहीं कर रहा है। पूरे राज्य में बरसात के बाद लोगों में कोहराम मचा है विपक्ष दौरा कर रहा सरकार सरकार सभी बातों से अवगत करवा रहा है लेकिन सरकार अपने मुद्दे अपनी सत्ता में मस्त है महाराष्ट्र की जनता भी सब देख रही है। लोगों को कितना दुर्लक्ष किया जाएगा, मदद कार्य जो मिलना चाहिए मदद करने वाला कोई नहीं इससे लोगों में काफी असंतोष है। 



महाविकास अघाड़ी द्वारा गठित बांठिया आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय को एक रिपोर्ट सौंपी और उस रिपोर्ट ने ओबीसी को आरक्षण दिया लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जयंत पाटिल ने यह भी कहा कि सरकार की उपेक्षा इसलिए की गई क्योंकि दिल्ली हवाओं से पस्त हो गई, नहीं तो 92 नगर पालिकाओं में आरक्षण हो जाता। गडचिरोली  वर्धा, नांदेड, यवतमाल महाराष्ट्र के कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति है। लेकिन चूंकि वर्तमान में कोई संरक्षक मंत्री नहीं है, वहां कोई भी मजबूती से खड़ा नहीं है। सहायता का कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है। ऐसे में राहत कार्य ठीक नहीं चल रहा है। जयंत पाटील ने यह भी कहा कि कई लोगों का परिवार उध्वस्त हो गया है ऐसे में सरकार अस्तित्व में नहीं होने से जिन पर दुखों का पहाड़ टूटा है उनके आंसू पोछने वाला कोई है।

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