यह विषय एक ऐसे मजबूत अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है जिससे हम किसी भी नागरिक और किसी भी स्थान को पीछे नहीं छोड़ सकते क्योंकि हम एक अधिक लचीले भविष्य का निर्माण कर रहे हैं: हरदीप सिंह पुरी
विश्व पर्यावास दिवस 2022 'माइंड द गैप' लीव नो वन बिहाइंड एंड नो प्लेस बिहाइंड' के विषय के साथ मनाया गया। सरकार के समावेशी और समान विकास के प्रति संकल्प को इसके प्रमुख शहरी अभियानों और पहलों में प्रदर्शित किया गया है: हरदीप सिंह पुरी
स्पेशल डेस्क, मैक्स महाराष्ट्र, नई दिल्ली: विश्व पर्यावास दिवस 2022 मनाने के लिए आज आयोजित एक कार्यक्रम में आवास और शहरी कार्य और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप एस पुरी ने मुख्य भाषण दिया। श्री पुरी ने कहा कि यह विषय एक ऐसे मजबूत अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है जिसमें हम किसी भी नागरिक और किसी जगह को पीछे नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि हम एक अधिक लचीले भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व पर्यावास दिवस 2022 मनाया। आवास और शहरी कार्य और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी, आवास और शहरी कार्य राज्य मंत्री कौशल किशोर, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव और शोम्बी शार्प, यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर, यूएन-हैबिटेट मनोज जोशी सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
सभा को संबोधित करते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि कोविड महामारी ने शहरों और मानव बस्तियों में बढ़ती असमानताओं, कमजोरियों और चुनौतियों की समस्या को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि उसने राष्ट्रीय और स्थानीय सरकारों को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की केंद्रीय प्रतिज्ञा को प्राप्त करने की दिशा में एक परिवर्तनकारी मार्ग अर्थात 'किसी को भी पीछे न छोड़ें' पर चलने के लिए प्रेरित किया। श्री पुरी ने कहा कि भारत में यह उपलब्धि 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के रूप में सामने आई है।
श्री पुरी ने कहा कि विश्व पर्यावास दिवस 2022 का विषय 'अंत्योदय से सर्वोदय' भी गांधीवादी दर्शन के साथ गहराई से संबंधित है। उन्होंने कहा कि समावेशी और समान विकास के प्रति सरकार के संकल्प को इसके प्रमुख शहरी अभियानों और पहलों में प्रदर्शित किया गया है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने विशेष रूप से मंत्रालय और सामान्य रूप से भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), पीएम स्वनिधि योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं की संकल्पना कमजोर और हाशिए के वर्गों पर रहने वाले लोगों पर ध्यान देने के साथ की गई है।
श्री हरदीप एस पुरी ने आगे कहा कि इस वर्ष के विश्व पर्यावास दिवस का विषय हमें इन विषयों पर आगे चर्चा करने और नवाचारों की अवधारणा को सुनिश्चित करने का अवसर प्रदान करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 'कोई भी और कोई जगह पीछे न छूटे'। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोविड महामारी, जलवायु परिवर्तन की तरह, भारत के शहरी क्षेत्रों को स्थायी रूप से बदलने जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, ऐसे झटकों से शहरी परिदृश्य में स्थायी परिवर्तन हुए हैं। श्री पुरी ने कहा कि मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए शहरी कायाकल्प के अंतर्गत भारत को आत्मनिर्भर और उत्पादक शहर जल्द ही सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की वह ज्योति जगाएंगे, जो भारत अपने नागरिकों के लिए चाहता है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत सतत विकास लक्ष्यों की केंद्रीय प्रतिज्ञा, यानी वर्ष 2030 तक 'किसी को भी पीछे न छोड़ें' की परिकल्पना को साकार करने में सक्षम होगा। कार्यक्रम में अपने संबोधन में, आवास और शहरी कार्य राज्य मंत्री, श्री कौशल किशोर ने अगले 25 वर्षों के लिए प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप शहरों को स्वच्छ, हरित और आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ बनाने पर बल दिया। संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष अक्टूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस के रूप में मनाने के लिए नामित किया है ताकि हमारे आवासों की स्थिति और सभी को पर्याप्त आश्रय के मूल अधिकार पर विचार किया जा सके। इस दिवस का उद्देश्य दुनिया को यह याद दिलाना है कि हम सभी के पास अपने शहरों और कस्बों के भविष्य को आकार देने की शक्ति और जिम्मेदारी है।
वर्ष 2022 में, "माइंड द गैप, लीव नो वन एंड प्लेस बिहाइंड" विषय के अंतर्गत विश्व पर्यावास दिवस (डब्ल्यूएचडी 2022) शहरों और मानव बस्तियों में बढ़ती असमानता और चुनौतियों की समस्या के बारे में विचार करता है। विश्व पर्यावास दिवस 2022 बढ़ती असमानताओं और कमजोरियों की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता है जो तीन 'सी' के संकट - कोविड-19, जलवायु और संघर्ष से बढ़ गए हैं।