आरटीआई से खुलासा कोई फर्जीवाडा नहीं हुआ गोवा वाला कंपाउंड बिक्री मामले में! इससे चारों खाने चित ईडी!

Update: 2022-08-03 07:33 GMT

मुंबई: सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जरिए एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री नवाब मलिक के मामले में एक नया खुलासा हुआ है। इसके जरिए नवाब मलिक मामले में ईडी जांच की सच्चाई सामने लाई गई है। आरटीआई से साफ हो रहा है कि नवाब मलिक पर गलत आरोप लगाया है। मलिक की लीगल टीम ने (आरटीआई) के जरिए खुलासा किया है कि नवाब मलिक की जमीन की बिक्री में कोई फर्जी नहीं है।


सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में मिले रिकॉर्ड के मुताबिक इसके लेन-देन में कोई अनियमितता नहीं बरती गई थी। बता दें कि मलिक ने गोवावाला कंपाउंड की 3 एकड़ जमीन के मामले में जमानत याचिका दायर की है। उसी पर सुनवाई के दौरान ईडी द्वारा किए गए दावे का आरटीआई से ब्यौरा हासिल कर खंडन किया गया है। ईडी की कार्रवाई पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। इस बीच नवाब मलिक की लीगल टीम ने यह खुलासा किया है।


बता दें कि नवाब मलिक को इस साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वो न्यायिक हिरासत में अस्पताल में भर्ती हैं। ईडी ने उनके खिलाफ महाराष्ट्र राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में वोटिंग करने करने का अदालत में विरोध करके उसकी वोटिंग की याचिका को भी खारिज करवा दिया था। मलिक ने जमानत की अर्जी दाखिल की है। ईडी इसका विरोध कर रही है और उन्हें वापस जेल भेजने की मांग कर रही है। मलिक की जमानत अर्जी पर सुनवाई इस हफ्ते जारी रहेगी क्या आरटीआई से उनको मिली सच्चाई सामने आने पर अदालत उनको बेल देती है जेल इस पर सबकी निगाहें टिकी है।



 

गौरतलब है कि ईडी ने आरोप लगाया था कि मलिक ने अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के गुर्गे सलीम पटेल से संपत्ति खरीदी थी। ईडी की ओर से यह भी दावा किया गया था कि इस लेन-देन से मिले पैसे को आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों (टेरर फंडिंग) के लिए मुहैया कराया गया था। इस मामले में ईडी द्वारा पेश किए गए मुख्य सबूत अप्रेंटिस सलीम पटेल के पास जमीन के मालिक मुनीरा प्लंबर का जाली पॉवर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) था। केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक कुर्ला में ३ एकड़ का गोवावाला कंपाऊंड पर नवाब मलिक ने कब्जा कर लिया था। प्लंबर ने पटेल को कुछ पैसे देकर पॉवर ऑफ अटॉर्नी की मदद से अतिक्रमण हटा दिया था।

आरटीआई से पता चला कि प्लंबर ने सलीम पटेल को संपत्ति बेचने के लिए अधिकृत करने का अधिकार दिया था और दस्तावेज फर्जी नहीं थे। मलिक की कानूनी टीम ने कहा कि उसे सब-रजिस्ट्रार के समक्ष जुलाई 1999 में अमल मुख्तारनामा का रिकॉर्ड मिला। मलिक की कानूनी टीम ने अदालत को बताया कि प्लंबर दो गवाहों के साथ कार्यालय गया और दस्तावेजों को अमल में लाया था।

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