नूपुर दीदी डर गयी - दीदी डर गयी !

Update: 2025-01-11 08:15 GMT

भोपाल जाने वाली वंदे भारत ट्रेन में सफर कर रहे एक यात्री ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा किए, जो तेजी से चर्चा का विषय बन गए। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि ट्रेन पहले ही अपने निर्धारित समय से 20 मिनट की देरी से चल रही थी, और उनकी यात्रा के दौरान एक अप्रत्याशित घटना ने उनका ध्यान खींचा।

यात्री के अनुसार, उनके बगल की सीट पर नूपुर शर्मा बैठी थीं, जो हाल के वर्षों में अपने विवादित बयानों के चलते चर्चा में रही हैं। उनकी सुरक्षा को लेकर छह पुलिसकर्मियों का कड़ा घेरा था। इस दौरान प्लेटफ़ॉर्म पर एक व्यक्ति वीडियो कॉल पर किसी व्यक्ति से बता रहा था की वह कहा खड़ा  हैं। यह सुनते ही नूपुर शर्मा ने तुरंत अपने सुरक्षा कर्मियों को सतर्क कर दिया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी स्थिति की कोई जानकारी लीक न हो।

इस घटना ने लेखक को गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने ट्वीट में लिखा, "सच, इतना भय में जीना भी जीवट का काम है। आखिर हम ऐसे कर्म ही क्यों करें कि दूसरे की सांस लेने पर अपनी सांस का संकट लगने लगे?" यह पंक्ति न केवल व्यक्तिगत अनुभव को अभिव्यक्त करती है, बल्कि एक बड़े सवाल को भी उठाती है—क्या हमारे कर्म हमें ऐसी स्थिति में ला सकते हैं, जहां हम अपने ही समाज में भय और असुरक्षा के साथ जीने पर मजबूर हो जाएं?

यह ट्वीट इस बात का प्रतीक बन गया है कि समाज और राजनीति में लिए गए निर्णय और उनके परिणाम किस प्रकार व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इसके साथ ही यह घटना इस बात की भी याद दिलाती है कि सार्वजनिक जीवन में कार्यरत लोगों को अपने कर्मों के प्रति कितनी सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि समाज में विश्वास और सह-अस्तित्व का माहौल बना रहे।

आखिरकार, यह घटना केवल एक यात्रा का विवरण नहीं है, बल्कि हमारे समय के सामाजिक और नैतिक सवालों का भी आईना है।

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