राम मंदिर को लेकर एक बार फिर शुरू हुआ विवाद ।
Controversy started once again regarding Ram temple.
राम मंदीर का मुद्दा दशकों से विवादों में रहा है, अब जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर बना, और आधे अधुरे मंदिर में रामलल्ला की मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, तब एक बार फिर से राम को लेकर विवाद शुरू हो गया है। भगवान राम के शाकाहारी या मांसाहारी होने को लेकर कई सालों से विवाद चल रहा था, अब इस विवाद में एनसीपी ,शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने बयान देकर आग में घी डालने का काम किया है। आव्हाड ने राम को बहुजन बतातें हुए मांसाहारी होने का दावा किया है। रामायण में इसके सबूत होने का दावा भी आव्हाड ने कर दिया है।
राम को लेकर राजनिती करने वाली भाजपा को मानो बैठे बिठाए मुद्दा ही मिल गया है। विवाद हो और दिग्वीजय सिंह ना बोले भला ऐसा कैसे हो सकता है, तो इस विवाद में दिग्गी राजा ने भी राम मूर्ती को लेकर सवाल खड़े कर अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है। दिग्गी राजा के विवादास्पद बयानों की वजह से कांग्रेस को आएँ दिन ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है। दिग्विजय सिंह की बयानबाज़ी की वजह से सोशल मिडीया पर लोग कांग्रेस को खरी खोटी सुना रहे है।
इन सब विवादो के बीच धर्मगुरु गोवर्द्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर 'शंकराचार्य' स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज का बयान पीछे ना छूट जाए इसलिए हम आपको बता दे की, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अयोध्या में होने जा रही राम मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आपत्ती दर्ज करा दी है। प्रधानमंत्री के हाथो प्राण प्रतिष्ठा हो और धर्मगुरू के नाते वहां ताली बजाने जाने को लेकर शंकराचार्य नाराज़ है, वह आहत है। भला शंकराचार्य को कौन समझाएगा की सत्ता के आगे कुछ नहीं चलता.
वही , आज पुरे मुंबई में जितेंद्र आव्हाड के बयान के विरोध में भारतीय जनता पार्टी ने धरना प्रदर्शन कर राजनिती को गरमा दिया है, जितेंद्र आव्हाड ने भी अपने बयान को लेकर सफ़ाई पेश की है..। लेकिन माहौल शांत होता नज़र नहीं आ रहा..
चुनाव नजदीक है, और लगता है, इस बार भी प्रभु श्री राम इसके केंद्र में होंगे.. मानो नेताओं के लिए अब श्री राम ही स्टार प्रचारक है।