सांसद श्रीकांत शिंदे को चेतावनी, शरद पवार की आलोचना का करारा जवाब मिलेगा- आनंद परांजपे

Update: 2022-06-25 16:18 GMT

ठाणे: शिवसेना उद्धव ठाकरे की पार्टी है, वे जानते हैं कि अपनी पार्टी को कैसे चलाना है और वे सक्षम हैं। हमें इसके बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन, हमारे सम्मानित नेताओं की आलोचना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एनसीपी ठाणे-पालघर जिला समन्वयक और नगर अध्यक्ष आनंद परांजपे ने कहा कि श्रीकांत शिंदे और नरेश म्हस्के, जो शरद पवार की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें अपनी योग्यता की जांच करनी चाहिए और फिर उनकी आलोचना करनी चाहिए।

एकनाथ शिंदे के समर्थकों ने आज प्रदर्शन किया। इस दौरान सांसद श्रीकांत शिंदे और मेयर नरेश म्हस्के ने एनसीपी और शरद पवार की आलोचना की थी। इसी के प्रति उत्तर में आनंद परांजपे ने उनकी टिप्पणी पर आक्रामक प्रतिक्रिया दी। परांजपे ने कहा, सांसद श्रीकांत शिंदे और पूर्व महापौर नरेश म्हस्के द्वारा राकांपा पर निराधार और बेबुनियाद आरोप लगाए गए है। असल में सांसद श्रीकांत शिंदे अपरिपक्व हैं, आप सभी जानते हैं। हालांकि, वह ठाणे जिले की राजनीति से पूरी तरह वाकिफ भी नहीं हैं बाप के रहमों करम पर उनकी सांसद बनाया गया। जो अब उनके बयान से साफ हो गया है, ठाणे जिला पालक मंत्री एकनाथ शिंदे भी किसी भी जिला समिति से नहीं मिले हैं। यह वो पालक मंत्री एकनाथ शिंदे ही थे जिन्होंने राकांपा पर दबाव बनाना जारी रखा। इनसे नरेश म्हस्के ने कहा कि राकांपा के पार्षद परेशान करते है।

हालाँकि, म्हास्के ने ऐसी गंदी राजनीति भी की, जैसे कि एनसीपी के पार्षदों को हर आम सभा में बोलने की अनुमति नहीं देना, विपक्षी नेता शानू पठान को बोलने की अनुमति नहीं देना, विकास कार्यों का राजनीतिकरण करना और यहां तक ​​कि कोरोना काल के दौरान एनसीपी नगरसेवकों के टीकाकरण कराने पर विरोध करना। फिलहाल शिवसेना में क्या चल रहा है, मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे शिवसेना को इससे बाहर करेंगे। इसमें कोई शक नहीं कि इस राज्य में शिवसेना के मुख्यमंत्री रहेंगे।

लेकिन हमारे नेता शरद पवार पर कोई आरोप नहीं लगाना चाहिए, श्रीकांत शिंदे और नरेश म्हस्के इसके लायक नहीं हैं। म्हास्के यह दिखाने के लिए क्षमा प्रार्थी प्रयास कर रहे हैं कि हम उनकी पार्टी के प्रति कितने वफादार हैं। जब नारायण राणे शिवसेना से निकले थे यही म्हस्के उनके साथ गए थे। ब्रेकअप करने वालों के साथ जाना और फिर वापस पार्टी में आना उनकी आदत है। हम दोहराते हैं कि हम शरद पवार की आलोचना बर्दाश्त नहीं करेंगे। परांजपे ने यह भी चेतावनी दी कि जवाब जैसा है वैसा ही दिया जाएगा।

गुवाहाटी जाने के पीछे क्या है गौड़ 'बंगाल'?

भाजपा का पड़ोसी राज्यों गोवा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी सत्ता में है। लेकिन एकनाथ शिंदे गुवाहाटी क्यों गए? इसके पीछे एक कारण है। गुवाहाटी के पास देवी कामाख्या का मंदिर है। यह मंदिर अपने तंत्र-मंत्र के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। इसलिए वे गुवाहाटी गए हैं। आनंद परांजपे ने एक अलग ही शंका जाहिर करते हुए कहा है कि उनके साथ मौजूद विधायक भी अब इस बात को समझते हैं।

आनंद परांजपे, राकांपा ठाणे, पालघर जिला समन्वयक, नगर अध्यक्ष



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