छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर बनी ऐतिहासिक फ़िल्म 'छावा' हाल ही में देशभर में प्रदर्शित हुई। इस फ़िल्म ने जनता में खासकर हिंदू समुदाय के बीच औरंगज़ेब के अत्याचारों और उसके दौर की घटनाओं को लेकर गहरी प्रतिक्रिया पैदा की। कई जगहों पर औरंगज़ेब के इतिहास को लेकर आक्रोश देखने को मिला। इसी माहौल में कुछ संगठनों ने औरंगाबाद स्थित औरंगज़ेब की क़ब्र को हटाने की माँग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू किए।
परिस्थिति तब और गंभीर हो गई जब 17 मार्च 2025 की रात को नागपुर में दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया। जानकारी के अनुसार, कुछ असामाजिक तत्वों ने अफ़वाह फैलाई कि क़ुरान शरीफ़ को जलाया गया है। यह अफ़वाह तेजी से फैल गई, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए। देखते ही देखते माहौल हिंसक हो गया। कई जगहों पर पत्थरबाजी, वाहनों में आगज़नी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं।
पुलिस ने स्थिति को काबू में करने की कोशिश की, लेकिन हिंसा ने इतना विकराल रूप ले लिया कि करीब 30 आम नागरिक घायल हो गए। वहीं, 60 से 65 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। घटनास्थल पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और शहर के संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है।
प्रशासन द्वारा अफ़वाहों पर ध्यान न देने और शांति बनाए रखने की अपील की गई है। पुलिस जांच कर रही है कि अफ़वाह फैलाने वालों के पीछे कौन लोग थे और किस उद्देश्य से यह साजिश रची गई। अधिकारियों का कहना है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल, स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताई जा रही है। लोगों से संयम बरतने और कानून-व्यवस्था में सहयोग करने की अपील की जा रही है। यह घटना एक बार फिर से बताती है कि अफ़वाहों और भड़काऊ घटनाओं से समाज में कितना बड़ा नुकसान हो सकता है।