2022 में पुणे से 840 महिलाऐं, युवतियों और नाबालिग लड़कियों के घर से भगाकर ले जाने शिकायत पुलिस ने की है दर्ज,
पुलिस द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, 2022 के पहले सात महीनों में पुणे में लापता हुई कुल 840 नाबालिग लड़कियों में से लगभग 396 पाई गईं। रोज एक दो इस तरह की शिकायत दर्ज होने पर हमने पूर्व पुलिस प्रवक्ता मनीष कल्याणकर से भी बात की थी तब उनका भी यही कहना था कि लड़कियां झांसे में आकर घर से भागती है और वापस भी आ जाती है लेकिन हम हर मामले को गंभीरता से लेते है उसकी जांच करते है। अब तक के आंकड़े देखे जाए तो 15 से 17 साल की लड़कियों की संख्या सबसे ज्यादा है।
पुणे: शहर की पुलिस द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, 2022 के पहले सात महीनों में पुणे में लापता हुई कुल 840 महिलाऐं, युवतियों और नाबालिग लड़कियों में से लगभग 396 मिलीं। जून में लापता महिलाओं की संख्या (186) सबसे अधिक दर्ज की गई जिसके बाद मई (135) का स्थान रहा। जहां तक पिंपरी-चिंचवड पुलिस आयुक्तालय का सवाल है, 885 युवतियां, नाबालिग लड़कियां लापता हो गई, जबकि पुणे ग्रामीण पुलिस ने इसी अवधि में 743 महिलाओं के लापता होने के मामले दर्ज किए। पुलिस के मुताबिक इनमें से ज्यादातर लडकियां पारिवारिक कलह, रिश्तों या रोजगार के अवसरों के कारण घर छोड़ चली जाती हैं और कई अपनी गलती का एहसास होने के बाद वापस लौट जाती हैं। पुलिस ने कहा कि 16 से 25 वर्ष की आयु वर्ग की अधिकांश लड़कियां मामलों, घरेलू कलह या माता-पिता के साथ घर पर झगड़े के कारण घर छोड़ देती हैं। इन लापता महिलाओं में मानसिक रूप से परेशान या सड़कों पर रहने वाली महिलाएं भी शामिल हो सकती हैं। सामाजिक कार्यकर्ता इस बात पर जोर देते हैं कि इन लापता मामलों को मानव तस्करी से अलग नहीं किया जा सकता है। विनय भंग छेडखानी के बढते मामलों पर पर भी पुलिस ने सख्त नीति अख्तियार की थी।
पुणे पुलिस के सामाजिक सुरक्षा प्रकोष्ठ के पुलिस निरीक्षक अन्ना माने ने कहा कि इसके पीछे कोई खास वजह नहीं है। उन्होंने कहा कि यह लापता महिलाऐं, युवतियों और नाबालिग लड़कियों की सामूहिक संख्या है और इसके कई कारण हैं जैसे पारिवारिक विवाद, रिश्ते और प्रेमी द्वारा शादी का झांसा देना। माने ने कहा कि किसी भी लिंक को नजरअंदाज नहीं किया जाता है और वे हर लड़की को बचाने की कोशिश करते हैं। पुलिस ने यह भी कहा कि कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो स्वतंत्र जीवन जीना चाहती हैं और अपने रूढ़िवादी घरों से भागना चाहती हैं। पुलिस के मुताबिक कुछ ही मामले ऐसे होते हैं जहां महिलाओं का अपहरण किया जाता है। महिला एवं बाल कार्यकर्ता यामिनी अदाबे ने कहा कि हालांकि लड़कियों के लापता होने के कई कारण हैं, लेकिन मानव तस्करी के दृष्टि को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ऐसे मामलों में जहां महिलाएं प्रेम संबंधों या पारिवारिक विवादों के कारण लापता हो गई हैं, वे अभी भी परिवार के किसी सदस्य या मित्र के संपर्क में हैं। लेकिन लापता महिलाओं की बढ़ती संख्या सभी के लिए चिंताजनक है। हर मामले में पुलिस सिर्फ रही लिखती है उसके रहने वाले घर से किसी ने बहला फुसलाकर भगा ले गया, किसी दिन तीन से भी ज्यादा मामले पिंपरी चिंचवड में दर्ज होते थे लेकिन रोजाना जारी होने वाली प्रेस नोट में एक दो मामले रोज दर्ज होते ही थे। साथ विनय भंग बलात्कार और बाल लेगिग उत्पीडन के मामलों में भी पिपरी चिचवड में वृद्धि देखी गई थी। कई लड़कियों को भगाकर मध्य प्रदेश लेकर जाने का मामला भी सामने आया है वहां पर बहला फुसलाकर ले गई लड़कियों को वहां पर मिली यातना के बाद स्थानीय पुलिस ने यहां भेजा है इस तरह की जानकारी सामने आई है।
शिवसेना नेता और महाराष्ट्र विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोर्हे ने कहा कि वह पिछले दो साल से इस मामले पर नजर रख रही हैं. गोरे ने इस संबंध में पूर्व गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटील के साथ बैठक बुलाई थी। "बलात्कार के मामलों की संख्या में कमी आई है, लेकिन साथ ही घरेलू हिंसा के कारण, लापता महिलाओं के मामलों में समय के साथ वृद्धि हुई है। हालांकि, पुलिस इन लापता महिलाओं की तलाश के लिए अथक प्रयास कर रही है।" गोर्हे ने आगे कहा कि पुलिस ने मुस्कान योजना के तहत इन महिलाओं की तलाश शुरू कर दी है और लापता मामलों के पीछे के सभी कोणों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को छुड़ाए जाने के बाद पुलिस को भी उनकी काउंसलिंग शुरू करनी चाहिए। ''मंगलवार को ही, हमने अपने 'स्त्री आधार केंद्र' के साथ बैठक की और लापता महिलाओं के बारे में जागरूकता अभियान शुरू करने का फैसला किया। इस अभियान के तहत, महिलाओं को सभी तकनीकी जानकारी मिलेगी।महाराष्ट्र विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोर्हे ने आगे सुझाव दिया कि पुलिस को अज्ञात महिलाओं की फोटो प्रदर्शनी लगानी चाहिए जिनकी मृत्यु हो गई है। ताकि उनके माता-पिता को उनकी मौत के बारे में पता चल सके। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विशेष पुलिस महानिरीक्षक (कोल्हापुर रेंज) मनोज लोहिया से बातचीत चल रही है और लोहिया इस बारे में सकारात्मक हैं। पुलिस कई तरह की कोशिश की लेकिन कोई उपाय कारगर साबित नहीं हुआ पुलिस ने एक ऐप भी लांच किया था