गूगल-पे फोन-पे की न्यू सुविधा, EMI व बिजली बिल भुगतान की चिंता से मिलेगा छुटकारा
नई दिल्ली. डिजिटल पेमेंट कंपनी Google Pay और PhonePe नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर अपने ग्राहकों को एक बेहतरीन सुविधा उपलब्ध कराने की तैयारी में हैं. ग्राहकों को हर महीने दिए जाने वाले बिजली बिल, मोबाइल बिल, ईएमआई, इंश्योरेंस प्रीमियम जैसे रिकरिंग पेमेंट्स की चिंता से निजात मिल जाएगी.
गूगल-पे और फोन-पे ग्राहकों को इस सेवा का इस्तेमाल करने के लिए ऑटो डेबिट सुविधा के विकल्प को चुनना होगा. एक बैंकर ने बताया कि गूगल-पे और फोन-पे ने रिकरिंग पेमेंट्स प्लेटफॉर्म पर काम करना शुरू कर दिया है. दोनों एक महीने के भीतर ये सुविधा शुरू कर सकती हैं. उन्होंने बताया कि ये प्रोडक्ट अभी डेवलपेमेंट के चरण में है. प्रोडक्ट तैयार होने के बाद इसका परीक्षण किया जाएगा. इसके बाद ही करोड़ों ग्राहकों को उपलब्ध कराया जाएगा.एनपीसीआई ने हर महीने, तिमाही, छमाही या सालाना किए जाने वाले भुगतान यानी रिकरिंग पेमेंट्स के लिए यूपीआई ऑटो-पे सुविधा 22 जुलाई को शुरू कर दी है.
एनपीसीआई के मुताबिक, यूपीआई-2.0 के तहत इस सुविधा की शुरुआत की गई है. इसके तहत यूजर्स मोबाइल बिल, बिजली बिल, ईएमआई भुगतान, एंटरटेनमेंट/ओटीटी सब्सक्रिप्शन, बीमा, म्यूचुअल फंड, कर्ज भुगतान और मेट्रो कार्ड बिल जैसे भुगतान किसी भी यूपीआई ऐप के जरिये कर सकेंगे. इस नई सुविधा के तहत 2,000 रुपये तक के भुगतान के लिए यूपीआई पिन की जरूरत नहीं होगी. इससे ऊपर के भुगतान के लिए हर बार पिन की जरूरत होगी. हर यूपीआई ऐप में अब एक ई-मैंडेट का विकल्प उपलब्ध होगा. इस विकल्प को चुनकर यूजर्स किसी भी रिकरिंग पेमेंट की मंजूरी दे सकेंगे. अगर आपको लगता है कि किसी भुगतान को रोकना है तो आप इसी विकल्प पर जाकर पेमेंट रोक सकते हैं. वहीं, भुगतान राशि घटने या बढ़ने पर बदलाव भी कर सकेंगे.
यूपीआई ऑटो-पे सुविधा के तहत सिंगल पेमेंट के साथ ही दैनिक, साप्ताहिक, 15 दिन, हर महीने, हर दूसरे महीने, तिमाही, छमाही, सालाना आधार पर भुगतान करने की सुविधा दी जाएगी. एनपीसीआई ने कहा कि इससे यूजर्स और कारोबारी दोनों को फायदा होगा. एसबीआई, एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक, एचएसबीसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, पेटीएम पेमेंट्स बैंक, ऑटोपे-दिल्ली मेट्रो, ऑटोपे-डिश टीवी, पॉलिसी बाजार, पेटीएम, पेयू, रेजरपे जैसे कई बैंक व व्यवसाय इस सुविधा को पहले ही शुरू कर चुके हैं।