गुजरात, गुवाहाटी फिर गोवा और फिर मुंबई अब सत्ता स्थापित कर 15 दिन बाद अपने विधानसभा में पहुंचे भुमरे... चर्चा जोरों पर
मैं किसी से नहीं डरता, मुंबई से औरंगाबाद अब तो आना जाना लगा रहेगा, जिस किसी में भी हिम्मत हो वह मेरे पास आए - विधायक संदीपन भुमरे
औरंगाबाद: शिवसेना के बागी विधायक संदीपन भुमरे मंगलवार, 5 जुलाई को औरंगाबाद लौटे। 20 जून से उनका फोन भी नॉट रिचेबल हो गया था। शिवसेना से बगावत करने के बाद एक नाथ शिंदे के साथ पहले सूरत फिर गुवाहाटी उसके बाद तीन तीन गोवा होकर तीन दिन में रहकर आज औरंगाबाद अपने विधानसभा क्षेत्र में लौटे है। संदीपन भुमरे के कार्यकर्ताओं ने आज चिकलठाणा हवाई अड्डे पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
यहां पत्रकारों से बात करते हुए, संदीपन भुमरे ने कहा, "मैं यहां रहूंगा कल शहर और मैं कल शहर में में दौरा करूगा। जिनमें हिम्मत है वे मेरे पास आएं।' संदीपन भुमरे के कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे। सबसे ज्यादा विद्रोह औरंगाबाद में देखने को मिला था उनके दफ्तर तक शिवसैनिकों ने तोडफोड की कोशिश और उनके खिलाफ प्रदर्शन किया था। अपने विधानसभा में पहुंचने के बाद उन्होंने कहा कि विधान परिषद चुनाव के दौरान जिस तरह से शिंदे साहब को बाहर बैठाया गया यह बहुत धक्का दायक था। उसके बाद शिंदे साहब का फोन आया कहां कि निकलना है मैं उनके साथ चला गया। संजय राउत ने जो मेरे बारे में कहा उसको लेकर मेरे अंदर कोई नाराजगी नहीं है उन्होंने मेरे सहित सभी विधायकों को उन्होंने कहा लेकिन उन्होंने जो कहा वो शोभनीय नहीं था।
क्या शिवसेना दो हो गई है इस पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए संदीपन भुमरे ने कहा कि शिवसेना एक ही है बालासाहेब ठाकरे की। न कि उद्धव ठाकरे न ही एकनाथ शिंदे एकनाथ शिंदे साहेब बालासाहेब ठाकरे के विचारों को लेकर चल रहे है, उनका हर फैसला हमें मान्य है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार ऐसा सत्ता परिवर्तन देखने को मिला है कि पार्टी के सारे लोग पार्टी लोग इस तरह से अलग होकर एक हो गए पार्टी के 9 मंत्री 31 विधायकों के साथ निर्दलीय लोग भी हमारे साथ आ गए यह कोई सामान्य बात नहीं है। क्या बागी विधायकों 50 करोड़ मिले इस पर उन्होंने कहा कि कोई पैसे का लेन नहीं हुआ यह ख्वाबी पुलाव बनाया गया है। मैं खुद कैबिनेट मंत्री था कैबिनेट से बडा है क्या पैसा है, पैसे से कोई नहीं बिकता।