मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी के शक के घेरे में आ सकते हैं उपमुख्यमंत्री

Update: 2020-10-18 09:52 GMT

फाइल photo

मुंबई। विदर्भ सिंचाई विकास निगम के तहत 12 परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र सिंचाई विभाग के विभिन्न निगमों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की है। जानकारी रखने वालों ने यह बात बताई है। ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि 'जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बांध परियोजनाओं के लिए ठेके, संशोधित प्रशासनिक स्वीकृति, 1999 और 2009 के बीच विदर्भ सिंचाई विकास निगम, कृष्णा घाटी सिंचाई परियोजना और कोंकण सिंचाई विकास निगम से जुड़े ठेकेदारों को भुगतान किए गए बिलों की मांग की है। 2012 में विभाग में अनियमितताओं के सामने आने के बाद जांच उप मुख्यमंत्री अजीत पवार को संदेह के घेरे में ला सकती है।

पवार 1999 से 2009 के बीच जल संसाधन मंत्री थे। पिछले साल दिसंबर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने डिप्टी सीएम को क्लीन चिट दिया था, जिसके खिलाफ एक हलफनामा 27 नवंबर को उच्च न्यायालय में दायर किया गया था। 28 नवंबर को सरकार बनी थी। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जल संरक्षण परियोजना, जलयुक्त शिवहर अभियान की जांच का आदेश देने वाली उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार के साथ जांच का संबंध है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा पवार और अन्य को 25,000 करोड़ के महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंकों में अनियमितता के मामले में क्लीन चिट दिए जाने के कुछ सप्ताह बाद यह मामला सामने आया है। ईओडब्ल्यू ने पिछले महीने मामले में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, इसे सिविल मामला बताया। ED ने कोर्ट में EOW के कदम का विरोध किया है। शनिवार को सोलापुर और पुणे जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे पवार ने ईडी की जांच पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि जलयुक्त शिवहर में किसी भी जांच के आदेश नहीं दिए गए। 

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