एक रुपये में नाश्ता और 10 रुपये में रात का खाना, ​तृतीयपंथियों की पहल

1 रुपये में नाश्ता और 10 रुपये में पूरा भोजन...यह किसी सरकार की पहल नहीं है बल्कि हजारों लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए ​15 किन्नरों की टीम ने​ यह​ पहल​ शुरू​ की है​.​ देखिए प्रसन्नजीत जाधव की खास रिपोर्ट...

Update: 2022-09-14 19:01 GMT

स्पेशल डेस्क, मैक्स महाराष्ट्र, मुंबई:​ ​बढ़ती महंगाई के दौर में अगर आपको 1 रुपये में नाश्ता और 10 रुपये में भरपेट भोजन मिल जाए... और हाँ ये दरें शिव भोजन योजना के तहत नहीं हैं... कल्याण में ख्वाहिश फाउंडेशन की मदद से सैकड़ों गरीबों को खाना खिलाने का काम तृतीयपंथी​ काम​ कर रहे हैं...कोरोना संकट के दौरान शुरू किए गए शिव भोज​न​ था​ली के स्टॉल कई जगहों पर बंद हो गए हैं​।​ लेकिन कल्याण में गरीबों को इस पहल से फायदा हो रहा है।​ कल्याण में कोरोना काल के दौरान लोगों को भूख और प्यास से व्याकुल देखने के बाद किन्नरों ने कुछ समाज में बदलाव करने का ठाना था​। उनके मन में यह था कि भले ही लो लोगों से मांग कर खाते है लेकिन इलाके में कोई गरीब भूखा नहीं रहेगा। उन्होंने कोरोना काल समाप्त होने के बाद इस पहल को शुरू किया है जिसको लोगों का समर्थन मिल रहा है। लेकिन लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है।


शिव भोजन योजना राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है, लेकिन​ यह​ तृतीयपंथी बिना किसी ​सरकारी ​सब्सिडी के​ यह​ पहल​ गरीबों के लिए जारी र​खे हैं। दस रुपये में खाने में चावल, दाल, सब्जियां और चपाती ​के साथ आचार ​शामिल हैं। वहीं एक रुपये के नाश्ते में कभी प्याज पोहा, शीरा, उपमा तो कभी इडली शामिल होती है​।​ कोरोना काल में गरीबों और सड़कों पर भीख मांगकर गुजारा करने वालों को काफी परेशानी हुई​।​ उनका कहना है कि यह देखने के बाद उन्होंने यह गतिविधि शुरू की क्योंकि उन्हें लगा कि इन लोगों के लिए उन्हें कुछ करना चाहिए। इनमें से कुछ तृतीयपंथी हाउसकीपिंग, रिसेप्शनिस्ट, भोजन तैयार करने का काम भी यही पर करते हैं। लेकिन इन लोगों ने अपनी स्थिति की परवाह किए बिना सार्वजनिक सेवा की कसम खाई है।


आज समाज ने जिन तृतीयपं​थियों​ को त्याग दिया है, उन्होंने समाज में गरीबों को दिन में दो बार भोजन उपलब्ध कराने में यह​ पहल दिखाई ​है कि वे भी ​किसी से ​पीछे नहीं हैं। अब भी समाज को इन तृतीयपंथी और उनकी समाज सेवा पर ध्यान देने की जरूरत है।​ इन लोगों का कहना है कि अगर सरकार उनकी थोड़ी मदद करें अनाज उपलब्ध कराएं तो इनकी यह मुहिम गरीबों के लिए जारी रहेगी। इस टीम में शामिल किन्नरों द्वारा लोगों से जमा पैसे इस फाउंडेशन को दिए जाते है ताकि लोगों की भूख मिटाई जा सके। रोजाना 500 से 600 लोगों को भोजन और नाश्ता दिया जा रहा है, एक अच्छी पहल है तो शुरू हुई है लेकिन पीछे कोई नहीं है उम्मीद सरकार है रोजाना लोगों को दिए जाने वाले भोजन और नाश्ते का लगभग खर्च फाउंडेशन द्वारा 15 से 20 हजार रुपये का आता है, लेकिन बड़ी ही सादगी के साथ इन लोगों की मुहिम लोगों के प्रति बिना किसी सब्सिडी के जारी है।

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