Bihar Eleciton 2020: बिहार चुनाव में प्रवासी वोटर किसकी लगाएंगे नैया पार?

Update: 2020-09-28 13:26 GMT

मुंबई। कोरोनाकाल में बिहार चुनाव हो रहा है। इस बार कोविड-19 के चलते अधिकांश प्रवासी बिहार में पहले से उपस्थित हैं। चूंकि लाकडाउन में बड़ी संख्या में मजदूर मुंबई व अन्य शहरों से बिहार चले गए हैं। इतना तय है कि जिसकी तरफ प्रवासियों का रुझान होगा, मुख्यमत्री की कुर्सी उसी पार्टी को नसीब होगी । जिस तरह से लाक डाउन के बाद प्रवासी दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर थे। उनका रहनुमा कोई नहीं दिखा।

सरकारी आंकडों की मानें तो कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान बिहार में अब तक लगभग साढ़े 25 लाख प्रवासी लौट चुके हैं। इनमें बड़ी संख्या में महाराष्ट्र और मुंबई से लौटने वालों की थी। यह प्रवासी बिहार के इस विधानसभा चुनाव में निर्णायक साबित होंगे। ये प्रवासी बिहार में पैदल, बस और अन्य साधनों से जैसे-तैसे अपने गांव वापस लौटे हैं। निश्चित ही ये जागरूक प्रवासी मतदाता उनके भूखमरी ,बेरोजगारी ,बाढ़ और लचर स्वास्थ सुविधा मुख्य मुद्दा देखते हुए अपने मत का प्रयोग करेंगे।


क्या बिहार चुनाव में हावी होगा जातिवाद

बिहार की चुनावी राजनीति पर एक बड़ा आरोप लगता है कि जातिवाद सबसे बड़ा मुद्दा है। यह आंशिक सच है। जातियां चुनावों को प्रभावित करती हैं। चुनाव जीतने का यह अंतिम उपाय नहीं है। बीते 30 वर्षों में, चुनाव के दिनों में जातिवाद की सबसे अधिक चर्चा होती है, बेशक कुछ जातियों का बड़ा हिस्सा खास-खास राजनीतिक दलों से जुड़ा हुआ है। फिर भी उनकी तादाद अधिक है, जो जाति के बदले मुददों पर मतदान करते हैं।
फिर से विकास और रोजगार की बात
2020 के चुनाव में भी जातिवाद के ऊपर मुददे को रखा जा रहा है। जदयू ने सात निश्चय की दूसरी सूची जारी कर दी है। भाजपा केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियां गिना रही है। तेज विकास का वादा कर रही है। मुख्य विपक्षी दल राजद बेरोजगारी का मुददा उठा रही है। बेशक इन्हीं मुददों पर मतदाता अपना निर्णय देंगे।

Similar News