मुंबई में सीएनजी के दाम बढ़ने से रिक्शा चालक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, शशांक राव ने कहा कि रिक्शा चालको और मालिको को मिले सब्सिडी करेंगे सरकार से मांग

सीएनजी दरों में वृद्धि के रूप में, आर्थिक समस्या से मुंबई के रिक्शा चालक दिन ब दिन कहाँ खो जा रहे हैं? मैक्स महाराष्ट्र से खास बातचीत में 'मुंबई ऑटो रिक्शा मेंस यूनियन के अध्यत्र शशांक राव ने कहा कि मुंबई में करीब 4 लाख के ऊपर रिक्शा है और 3 लाख से अधिक रिक्शा चालक, आज की परिस्थिति को देखते हुए हम रिक्शा चालकों को सब्सिडी मिले यह सरकार से मांग करेगे। मुंबई की नई पहचान है रिक्शा चालक, सीएनजी के दाम बढ़ने से रिक्शा चालकों का धंधा खतरे में है. ऐसे में बिना नियमित कारोबार किए ही रिक्शा चालकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, फिर भी वही रिक्शा चालक सरकार से सीएनजी के दाम कम करने की गुहार लगा रहे हैं। आइए देखते हैं इस विषय पर हमारे संवाददाता प्रसन्नजीत जाधव की यह खास रिपोर्ट..

Update: 2022-07-20 16:07 GMT

मुंबई: मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी माना जाता है। लेकिन इसी मुंबई में तस्वीर साफ है कि सीएनजी दरों में बढ़ोतरी के चलते रिक्शा चालक अपने कारोबार से दूर जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण सीएनजी की बढ़ती कीमत है। सरकार ने पेट्रोल के दाम कम किए। लेकिन सीएनजी के रेट कम नहीं किए गए हैं। कुछ रिक्शा चालक प्रतिदिन 500 रुपये कमाते हैं, जिसमें से 200 रुपये सीएनजी गैस पर खर्च किए जाते हैं। ऐसे में रिक्शा चालकों के मन में एक सवाल है कि रोज कैसे गुजारा करें। कुछ रिक्शा चालकों ने कर्ज लिया और व्यापार के लिए रिक्शा खरीदे। लेकिन रिक्शा चालक को अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि सीएनजी बढ़ने से कितनी कमाई होगी और रिक्शा के लिए कितना भुगतान करना होगा। इसलिए कुछ रिक्शा चालकों का कहना है कि बढ़ती महंगाई से आर्थिक तंगी झेलने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

मुंबई में रिक्शा चलाते हुए कुछ रिक्शा चालकों की जान चली गई। मुंबई में 5000 से अधिक श्रवण रिक्शा चालक हैं। लेकिन रिक्शा चालकों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। रिक्शा चालकों ने मांग की है कि सीएनजी की दरें जल्द से जल्द कम की जाए क्योंकि सरकार को यह स्थिति नजर नहीं आती। हमारे व्यवसाय के पतन के लिए सरकारें जिम्मेदार हैं। रिक्शा यूनियनों ने सरकार पर इस तरह के आरोप लगाए हैं। ऐसे में रिक्शा चालक सोच रहे हैं कि सरकार रिक्शा वालों की कब सुनेगी। ऑनलाइन जुर्माना उससे कहीं ज्यादा है। यहां तक कि अगर रिक्शा चालक यात्रियों से पैसे लेने के लिए रुकते हैं, तो भी उनकी तस्वीरें ट्रैफिक पुलिस द्वारा ली जाती हैं और इसलिए उनसे अतिरिक्त जुर्माना वसूला जाता है। सरकार के ऐसे नियमों के चलते सभी रिक्शा चालक सोच रहे हैं कि कितना कमाया जाए और कितना खाया जाए आर्थिक परिस्थितियों से मुंबई सहित आस पास के इलाके रिक्शा चालक जूझ रहे है। अगर रिक्शा खुद की है तो मेंटेनेंस सीएनजी भरने के बाद 12 घंटों की मेहनत करके 300 से 350 ही बचते है। इसमें क्या करें कैसे गुजारा हो कैसे परिवार चलाए उनके सामने यह प्रश्न है? पहले दिन भर रिक्शा चलाने पर 500 तक बी बचत हो जाती थी खुद हो या शीप की लेकिन अब ऐसा नहीं है, काफी इंतजार के बाद लोग रिक्शा में बैठते है एक तो ट्रैफिक पुलिस की समस्या रूके की चलान कटा जितना कमाया नहीं इतना भर दिया। 




 


चूंकि राज्य में रिक्शा चालकों के परिवारों की आजीविका केवल रिक्शा पर है, भले ही रिक्शा चालकों ने सरकार से सीएनजी की कीमत कम करने का अनुरोध किया है, राज्य सरकार को इस समय पर स्वीकार करना चाहिए। सीएनजी की दरें कम होने पर ही रिक्शा चालक अपने परिवार के साथ आर्थिक जीवन का आनंद ले सकेंगे। इसलिए यह उम्मीद करना बेमानी नहीं होना चाहिए कि मुंबई की नई पहचान रिक्शा चालकों की संख्या में फिर से इजाफा होगा। कोरोना काल के बाद से रिक्शा वालों का कहना है कि उनका हाल बेहाल है। सरकार ने 6 रुपये में स्टेशन तक लोगों को एसी बस की सेवा कर दी भला कौन बैठेगा रिक्शा में बहुत सी समस्याओं का सामना कर रहे है। 

 



मैक्स महाराष्ट्र से बातचीत के दौरान 'मुंबई ऑटो रिक्शा मेंस यूनियन के अध्यक्ष शशांक राव ने कहा कि मुंबई शहर में कोरोना काल के बाद से रिक्शा चालक की हालत बढ़ती महंगाई से काफी सस्ता है। महाराष्ट्र में सभी रिक्शा चालकों और मालिकों को लॉकडाउन अवधि के दौरान उनके परिवारों का समर्थन करने के लिए सरकार द्वारा प्रतिमाह ₹ 10,000 दिए जाने चाहिए यह मांग को शशांक राव ने उठाया था जिसको महाविकास आघाडी सरकार ने पूरा तो नहीं लेकिन अधूरा जरूर पूरा किया।  रिक्शा पब्लिक ट्रांसपोर्ट है रिक्शा वालों को सब्सिडी मिलनी चाहिए इसके लिए हम प्रयास कर रहे है। अभी नई सरकार आयी है मंत्रिमंडल गठित होने के बाद यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल सरकार के साथ रिक्शा चालक सब्सिडी मिले इसकी मांग करेगा। रिक्शा चालकों के हित में लंबे समय से आवाज उठाने वाले शरद राव के बेटे है। शशांक राव जो इस समय 'मुंबई ऑटो रिक्शा मेंस यूनियन के अध्यक्ष के तौर रिक्शा चालकों की हर आवाज उठाने के लिए बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे है। 

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