ग्राउंड रिपोर्ट : मुंबई को साफ रखने वाले ही बेघर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अब तक पालन नहीं?
मुंबई में अनधिकृत मलिन बस्तियों की समस्या बेहद गंभीर है। लेकिन हजारों बेघरों के पास आज भी कोई रहने का आश्रय नहीं है और वे सड़कों पर झुग्गी बना रह रहे हैं। प्रसन्नजीत जाधव की जमीनी रिपोर्ट, जो पारधी समुदाय के कुछ परिवारों द्वारा आज सामना की जाने वाली कठिनाइयों की समीक्षा करती है। जो कि यह समाज अपराध द्वारा चिह्नित है, कठिन और सम्मान के साथ रहने के लिए मुंबई में आए है ...
प्रसन्नजीत जाधव, मैक्स महाराष्ट्र, मुंबई: कहते है कि मुंबई कभी सोती नहीं, सपनों का शहर मुंबई हर किसी का पेट भरती है, इसलिए यहां हर रोज हजारों लोग कई राज्यों जिलों से मायानगरी में आते हैं...लेकिन मुंबई का एक और पक्ष है....ये हैं बोरीवली के चीकूवाड़ी इलाके के दृश्य। लगभग 20 वर्षों से यहां रहने वाले पारधी समुदाय के लोगों के पास कोई रहने का आश्रय नहीं था, इसलिए वे इस स्थान पर झोपड़ियों में रहने लगे। उनमें से कई को महानगरपालिका द्वारा अवरुद्ध नालियों, कचरा और साफ सफाई के अन्य आपात स्थितियों में मुंबई महानगरपालिका की सेवा के लिए काम रोजाना दिहाड़ी के तौर पर करते है।
लेकिन उन पर नियमित रूप से महानगरपालिका उनकी झुग्गी को तोड़ने के लिए अभियान चलाती है, क्योंकि उनकी झोपड़ियाँ अनधिकृत हैं। साफतौर पर देख सकते है यह जहां पर रहते है उसके चारों तरफ आपको गगनचुंबी इमारत देखने को मिल सकती है। जो कि यहां पर इमारत बनने से पहले से रह रहे है। यह जहां पर रह रहे है उसे बिल्डरों ने मुख्य सड़क करार कर दिया बिल्डिंग प्लानिंग के समय, इमारत बनती गई और रास्ते पर झुग्गी आ गई।
हालांकि अनधिकृत मलिन बस्तियों की समस्या गंभीर है, लेकिन ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही मुंबई में बेघरों को आश्रय देने का आदेश दिया हो, लेकिन आज तक कोई पर्याप्त कार्रवाई नहीं की गई है। फिलहाल मुंबई में बेघरों की संख्या 54 हजार 416 है। लेकिन मुंबई महानगर निगम ने 2010 से 2020 तक दस वर्षों में बेघरों के लिए केवल 23 नागरी निवारा क्षेत्र बेघर लोगों के सरकारी आश्रय की व्यवस्था। आश्रयों में बेघर लोगों की संख्या हजारों से अधिक नहीं है। बेघरों को सड़कों पर रहना पड़ रहा है। चूंकि इन बेघरों के पास कोई सरकारी प्रमाण नहीं है, इसलिए उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है।
बोरीवली ते चिकूवाडी इलाके की बात करें तो यहां पर 20 सालों से पारधी समाज के 75 परिवार को लोगों का बसेरा है। इन 20 सालों में सैकड़ों बार बीएमसी की तोडक कार्रवाई हुई झुग्गियों को हटाया गया फिर बन गई झुग्गी बन कर तैयार हो गई। इन लोगों को यहां से हटाने के पहले बीएमसी को इन लोगों को नागरी निवारा क्षेत्र बेघर लोगों के सरकारी आश्रय में शिफ्ट करना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ कागजों पर कहे तो 23 नागरी निवारा तैयार है 23 हजार से ज्यादा लोग जिसमें रह रहे है बीएमसी के मुताबिक। इस योजना के सवाल को लेकर हमने योजना विभाग के सहायक आयुक्त प्रशांत सकपाले से मुलाकात कर बेघरों की समस्या का समाधान क्यों नहीं किया गया, उन्होंने कहा कि वह इस बारे में जानकारी मिलने के बाद ही बोलेंगे. चूंकि ये मतदाता नहीं हैं, इसलिए शायद उनके घरों का मुद्दा सुलझ नहीं रहा है और उन पर चर्चा नहीं हो रही है।