जो शिवसेना के छोड़कर गए वो शिवसैनिक नहीं गद्दार है -आदित्य ठाकरे

जब आदित्य ठाकरे से पूछा गया कि पहले विधायकों तोड़ा गया वह अब सांसदों को तोड़कर अपने खेमे में ले जा रहे है तो आदित्य ठाकरे ने कहा कि सब तोड सकते है लेकिन शक्ति और जोश को कभी नहीं तोड़ सकते।

Update: 2022-07-19 21:56 GMT

मुंबई: इस उत्साह को अब और भी समाहित करने की जरूरत है, मुझे सब लोगों चेहरा देखने दो, यह वह प्यार और आशीर्वाद लेने दो, जिसे मैं हासिल करने आया हूं। कल ठीक एक महीना होगा, 20 जून को आए अँधेरे को एक महीना होगा, महाराष्ट्र के साथ जो हुआ है, वह नहीं होना चाहिए था। आए दिन नई सरकार की खबरों में ड्रामा होता है, लेकिन महाराष्ट्र में बहुत ज्यादा बारिश हुई है, लोग बेहाल है बिना मंत्रिमंडल के सरकार है कोई किसी की सुध लेने वाला नहीं है। महाराष्ट्र में क्या हो रहा सब देख रहे है। लेकिन अब देखने को नहीं करने का समय आ गया है। पार्टी को छोड़कर जाने वाले अपने आपको शिवसैनिक कह रहे है अगर उनकी रगों में शिवसेना का रक्त होता तो सामने आकर बात करते गद्दारों की तरह पीठ में छुरा नहीं मारते। यह गद्दारी तो उन्होंने की लेकिन किसके साथ जिसने एक शाखा प्रमुख से नगरसेवक से विधायक और मंत्री से लेकर सांसद बनाया उस पार्टी और उसके प्रमुख से जो पार्टी का नहीं हुआ वो जनता का क्या होगा.... इस तरह के भाषणों से आदित्य ठाकरे ने आज अपने "निष्ठा यात्रा" में लोगों से बात कर लोगों की भावना को जानने का प्रयास किया लोगों का समर्थन अपार मिला। लोगों ने जमकर समर्थन भी किया। बिना किसी सूचना के आदित्य ठाकरे ने शाखा क्रमांक 104 का दौरा किया देखते ही देखते हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई.....



आदित्य ठाकरे ने कहा कि यह नाटक से पर्दा अब हम नीचे गिराना, यह अपने राजनीतिक हित के लिए किया जा रहा है। यह सब दिल्ली को दिखाना शुरू कर रहा है कि कितने विधायक और सांसद अपने साथ आते हैं। ये बगावत नहीं, देशद्रोह हैं। अगर इनके मन में महाराष्ट्र के बारे में अच्छी सोच होती तो ये पहले सूरत नहीं जाते फिर गुवाहाटी फिर गोवा नहीं जाते। कुर्ला में जब एक इमारत गिरी तो मैं वहां 2 बजे था, लेकिन वहां के विधायक गुवाहाटी में मस्त आराम फरमा रहे थे. मुझे केवल इस बात की संतुष्टि है कि जो राजनीतिक दौर आया उस दौरान उद्धव ठाकरे साहब परिवार के मुखिया के रूप में सामने आए। सभा में कोई आंख से आंख मिलाकर नहीं देख सकता था। वे सोच रहे थे कि हमने क्या काम किया, शायद ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमने राजनीति नहीं की।


जो लौटना चाहते हैं उनके लिए दरवाजे अभी भी खुले हैं -आदित्य ठाकरे

बालासाहेब, उद्धव ठाकरे कभी विधान भवन नहीं गए इसलिए उनकी चोरी का पता नहीं चला, लेकिन जब उद्धव साहेब विधानसभा गए तो चोरी पकड़ी गई। इसलिए गद्दारों के पेट में दर्द होने लगा, आज जो कुछ हो वो कहा से किसने दिया उसके बारे में भी सोचों? आदित्य ठाकरे ने कहा कि करते वो थे सब लेकिन मामला उजागर होने पर सामने पार्टी और शिवसेना प्रमुख को लाते थे बचने के लिए। आज की निष्ठा यात्रा में आदित्य ठाकरे तेवर में दम था और जमकर उन्होंने बागियों नहीं बल्कि सभा से उठी आवाज को लेकर गद्दारों को फटकार लगाई। आदित्य ठाकरे ने कहा कि जो जाना चाहे उसको हम नहीं रुकने वाले जो वापस आना चाहते हैं उनके लिए दरवाजे अभी भी खुले हैं। जरा सी भी हिम्मत हो तो चुनाव का सामना करो, मध्यावधि चुनाव कराकर देख लो महाराष्ट्र की जनता तय करेगी कि आप सही हो या गलत। आदित्य ने यह भी कहा कि यह पटकथा दिल्ली मठाधीशों द्वारा पहले लिखी गई और फिर लोगों को मोहरा बनाकर कई कारणों से लोगों को पार्टी से निकालने की और शिवसेना को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।


उद्धव साहेब के 2 ऑपरेशन होने पर थोडा दूर क्या हुए उन्होंने विधायकों की लामबंदी शुरू कर दी, जब वह किसी से नहीं मिल रहे थे तो वो इकट्ठा होने लगे यह दिखाने। फिर कहानी की पटा कथा को पर्दे पर उतारे गए। 40 विधायकों और 12 सांसदों के पार्टी से जाने का कोई अफसोस न होने की बात आदित्य ठाकरे ने कही कहा ले जाओ दिल्ली को दिखाना है कि इतने आंकड़े है हमारे पास। लेकिन आने वाले समय में इस नाटक जल्द ही अंत होगा और पर्दा खुद ब खुद गिरेगा। अब जरूरत है कि राजनीति में अच्छे लोगों के लिए जगह है, गंदगी झट गई है।


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