राष्ट्रपति ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के 52 वें दीक्षांत और शताब्दी वर्ष समारोहों के समापन कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई
स्पेशल डेस्क, मैक्स महाराष्ट्र, चंडीगढ़: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (9 अक्टूबर, 2022) को पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पीईसी) के 52वें दीक्षांत समारोह और शताब्दी वर्ष समारोहों के समापन कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 1921 में लाहौर में स्थापित, पीईसी एक प्रमुख शोध संस्थान के रूप में उभरा है और वैश्विक प्रौद्योगिकी परिवर्तन में अंशदान किया है। यह देश का एक प्रमुख संस्थान होने के साथ-साथ इस क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा का अग्रदूत भी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 में कहा गया है कि एक अच्छा शिक्षण संस्थान वह है जिसमें प्रत्येक छात्र का स्वागत किया जाता है और देखभाल की जाती है और जहां अच्छे बुनियादी ढांचे और उपयुक्त संसाधनों के साथ एक प्रेरक वातावरण मौजूद हो। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पीईसी में ये सभी खूबियां हैं। उन्होंने भरोसा जाहिर किया कि यह कॉलेज उत्कृष्टता के लिए अपने प्रयासों को जारी रखेगा।
राष्ट्रपति ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि पीईसी ने प्रौद्योगिकी, उद्योग, सिविल सेवाओं, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में देश को कई महान लोग प्रदान किए, जिनमें इसरो के पूर्व चेयरमैन और भारत में प्रायोगिक द्रव गतिकी अनुसंधान के जनक प्रो. सतीश धवन, प्रख्यात शिक्षाविद और आईआईटी के संस्थापक-निदेशक प्रो. आर. एन. डोगरा, मिसाइल और सामरिक प्रणालियों में विशेषज्ञ डॉ. सतीश कुमार शामिल हैं।
President Droupadi Murmu graced the 52nd convocation and closing ceremony of centenary year celebrations of Punjab Engineering College in Chandigarh today.
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 9, 2022
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उन्होंने कहा कि पीईसी के वैमानिकी इंजीनियरिंग विभाग की पूर्व छात्रा कल्पना चावला भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं, जिन्होंने विज्ञान के लिए आत्म-बलिदान का प्रेरक इतिहास रचा था। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पीईसी में कल्पना चावला चेयर ऑफ जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति को और गति देने के लिए तकनीकी शिक्षण संस्थानों में छात्राओं की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
स्नातक छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वे अपार अवसरों और संभावनाओं की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं, उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे अवसरों को सफलता में और संभावनाओं को निश्चितताओं में परिवर्तित करने में सक्षम हैं। उन्होंने उनको सलाह दी कि वे जीवन में भले ही कुछ भी बनना चाहें, लेकिन उन्हें मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्यों को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे कल के भारत के निर्माता हैं। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे इस प्रतिष्ठित संस्थान में अर्जित ज्ञान का उपयोग मानवता की सेवा में भी करेंगे। उन्होंने उनसे महात्मा गांधी के 'सर्वोदय' के संदेश को अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं में रखने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रपिता' के मूल्यों को व्यवहार में लाना प्रत्येक नागरिक, विशेषकर युवाओं का नैतिक कर्तव्य है। पीईसी के दीक्षांत समारोह से ठीक पहले राष्ट्रपति ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के सचिवालय के नव निर्मित भवन का शुभारम्भ किया।