आदित्य ठाकरे का सीधा सवाल: याकूब मेमन को लादेन की तरह समुद्र में क्यों नहीं दफनाया गया? तब किसकी सरकार थी?
याकूब मेमन कब्र विवाद खड़ा होने पर, शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी का भाजपा को जवाब। मुंबई ब्लास्ट केस में फांसी पर लटकाए गए याकूब मेमन की कब्र के सौंदर्यीकरण को लेकर हुए विवाद में शिवसेना और एनसीपी ने अब बीजेपी को जवाब दिया है. विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा है कि बीजेपी का आरोप बेबुनियाद है. उत्तर विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा है कि महंगाई से ध्यान हटाने के लिए इस तरह के मुद्दे उठाए जाते हैं। वहीं बुलढाणा में कांग्रेस नेता माणिकराव ठाकरे ने कहा कि याकूब मेमन की कब्र पर नहीं हुई रोशनी, जो हुआ होगा वो काफी पुराना मामला है जनता का ध्यान भटकाने का काम भाजपा द्वारा किया जा रहा है।
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स्पेशल डेस्क, मैक्स महाराष्ट्र, मुंबई: शिवसेना नेता, युवा सेना के प्रमुख विधायक आदित्य ठाकरे ने भाजपा को करारा जवाब दिया है, जिसने आतंकवादी याकूब मेमन की कब्र पर आरोप लगाया है। याकूब मेमन को समुद्र में क्यों नहीं दफनाया गया जैसे ओसामा बिन लादेन को समुद्र में दफनाया गया था ना? फिर याकूब मेमन को क्यों समुद्र में नहीं दफनाया गया तो उस समय सरकार किसकी थी? आदित्य ठाकरे ने इन शब्दों में फटकार लगाई है कि ऐसे सवाल उठाते वक्त यह देखना जरूरी है कि असल स्थिति क्या है।
राजनीति होनी चाहिए, लेकिन यह कितना नीचे तक जा सकती है इसकी भी एक सीमा होती है। आज लगाए गए आरोप झूठे हैं। आदित्य ठाकरे ने कहा कि धार्मिक विवाद पैदा करना ठीक नहीं है। दो या तीन सच्ची स्थितियों के साथ आना आवश्यक है। जब उसे दफनाया गया, तो बड़ी सुरक्षा प्रदान की गई थी, और दफनाने के लिए लोगों की भीड़ भी थी। ओसामा बिन लादेन को समुद्र में क्यों दफनाया? फिर याकूब के साथ ऐसा क्यों किया, बड़ा कब्रिस्तान एक निजी कब्रिस्तान है। दफन होने पर सरकार किसकी थी? क्या वे नहीं जानते कि यह ट्रस्ट निजी है? यह सवाल आदित्य ठाकरे ने पूछा था, उद्धव ठाकरे और महाविकास आघाडी पर तंज कसने वाले ट्विटर ट्विटर खेलने वाले भाजपा के नेताओं से पूछा है।
मुंबई महानगरपालिका चुनाव के साथ राज्य भर की महानगर पालिका और नगर पालिका का नजदीक हैं इस तरह के विषय सामने लाकर चौकानें वाली स्थिती तैयार तय है। औरंगाबाद से भी ऐसे मामले सामने आ रहे थे, आखिरकार मीडिया के जरिए सच्चाई सामने आ ही गई। आरोप लगाते समय यह देखना जरूरी है कि वास्तविक स्थिति क्या है, कुछ भी कह सकते हैं, इसको लेकर अध्ययन होना जरूरी है। आदित्य ठाकरे ने कहा कि 2015 में जब हम सरकार में थे तो हमारी कितनी सुनी गई।