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प्रियंका गांधी के साथ यूपी पुलिस की बेशर्मी!

प्रियंका गांधी के साथ यूपी पुलिस की बेशर्मी!
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बंद कमरे में चली मुलाकात, न्यायिक जांच चाहता है परिवार

लखनऊ। हाथरस केस लगातार चौथे दिन सुर्खियों में है। शनिवार को प्रियंका गांधी के हाथरस पहुंचने पर पुरुष पुलिस ने गलत तरीके से पकड़ने की कोशिश की। पुलिस के इस रवैये से यूपी पुलिस की फिर से किरकिरी होनी शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं महिलाओं ने यूपी के पुरुष पुलिस की निंदा कर इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर की। बता दें गैंगरेप पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मांग को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी को देर शाम हाथरस पहुंच गए हैं। भारी भीड़ के बीच घर में दोनों नेताओं ने परिजनों से बातचीत की। इसके पहले नोएडा के डीएनडी पर कड़ी सुरक्षा के बीच राहुल और प्रियंका गांधी डीएनडी से हाथरस के लिए रवाना किया गया था।

https://youtu.be/EdzgX6vF40A

नोएडा से राहुल को पांच लोगों के साथ हाथरस आने की अनुमति दी गई थी। वहां अधिक भीड़ इकट्ठी होने के कारण पुलिस को उन्हें काबू करने के लिए लाठीचार्ज भी करना पड़ा। राहुल गां धी ने कहा कि बेटी के साथ गलत बर्ताव हुआ, परिवार के साथ लगातार खड़ा रहूंगा, पीड़ित परिवार की रक्षा करना यूपी सरकार की जिम्मेदारी। प्रियंका बोली- परिजनों को इस बात का सबसे ज्यादा दुख इस बात का कि उन्होंने अंत में बेटी का चेहरा तक नहीं देखने दिया गया। राहुल-प्रियंका से मिलकर भावुक हुआ परिवार, सिलसिलेवार तरीके से बताया पूरा घटनाक्रम, बातचीत के दौरान प्रियंका परिवार को लगातार ढांढस बंधाती रहीं।

जब तक आरोपियों को फांसी नहीं होगी, तब तक इसे प्रवाहित नहीं करूंगा
हाथरस में दलित युवती के साथ हुए गैंगरेप केस में पीड़िता की मौत के बाद उसके शव को जिला प्रशासन ने गांव के बाहर ही जला दिया था। 3 दिन बाद परिवार के सदस्य वहां अस्थियां लेने पहुंचे। भाई ने कहा कि जब तक इस मामले में शामिल आरोपियों को फांसी की सजा नहीं मिल जाती, तब तक इन अस्थियों को प्रवाहित नहीं किया जाएगा। एसआईटी की जांच के नाम पर परिवार को रोककर रखा गया था। गांव में मीडिया की एंट्री पर भी बैन लगा दिया गया था। 3 दिन बाद शनिवार को मीडिया को गांव में एंट्री मिली। इसके बाद परिवार आज चिता स्थल पर जाने के लिए राजी हुआ। वहां से लौटने पर जब भाई से पूछा गया कि बहन की अस्थियों को कब प्रवाहित करेगा परिवार?, इस पर उसने कहा, "अभी हम कुछ कह नहीं सकते हैं। दो अधिकारी आए थे। जो उन्होंने पूछा, बता दिया है। मेरे हाथ में जो अस्थियां हैं, वो किसकी हैं मुझे यह भी नहीं पता। अंतिम समय में चेहरा भी नहीं देखने को मिला बहन का।''पीड़िता के भाई ने कहा कि हमें प्रशासन ने आखिरी बार अपनी बहन को नहीं देखने दिया। प्रशासन का कहना था कि उसका पोस्टमार्टम हुआ है। भाई ने कहा- जब वह हॉस्पिटल में थी, तब हम ही तो थे और वह मेरी बहन थी, कैसे हम नहीं देख पाते? मेरी बहन को लावारिस समझ कर पेट्रोल डालकर जला दिया।

Updated : 3 Oct 2020 3:16 PM GMT
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